ऑफ द रिकार्ड: अकबर की रणनीति से मोदी नहीं हुए आश्वस्त

Edited By Anil dev,Updated: 20 Oct, 2018 09:22 AM

mj akbar narendra modi bjp

विदेश राज्य मंत्री एम.जे. अकबर को जिस किसी ने भी पत्रकार रमानी के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज करने की सलाह दी , उसने उसे बेवकूफ बनाया।  इसमें कोई शक नहीं है कि केस दर्ज करवाने से पहले उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ मंत्री जिन्हें पार्टी में...

नई दिल्ली:  विदेश राज्य मंत्री एम.जे. अकबर को जिस किसी ने भी पत्रकार रमानी के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में आपराधिक मामला दर्ज करने की सलाह दी , उसने उसे बेवकूफ बनाया।  इसमें कोई शक नहीं है कि केस दर्ज करवाने से पहले उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ मंत्री जिन्हें पार्टी में कानूनी ज्ञाता के रूप में माना जाता है, से इस मामले में विचार-विमर्श किया था। आपराधिक मामला दर्ज करवाने के पीछे रणनीति यह थी कि पी.एम. को आश्वस्त किया जाए कि अब मामला कोर्ट में है ताकि यह रफा-दफा हो जाए लेकिन हर दिन महिलाओं की बढ़ती संख्या से ङ्क्षचतित पी.एम. ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। 

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हालांकि भाजपा के मंत्री ने उन्हें वकीलों की फौज मुहैया करवाने में सहायता की, पर यह सभी को मालूम है कि मानहानि के इस तरह के मामलों में त्वरित न्याय की उम्मीद कम ही होती है। यहां तक कि शक्तिशाली मंत्री अरुण जेतली जिन्होंने केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करवाया था, उन्हें भी करीब 15 बार कोर्ट में हाजिरी लगानी पड़ी और केजरीवाल से माफी मंगवाने में 2 साल लग गए थे। 

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जेतली बार-बार कोर्ट के चक्करों से आजिज आ गए थे और उन्होंने भी इस मामले को रफा-दफा करने में ही अपनी भलाई समझी क्योंकि उन्हें किडनी प्रत्यारोपण के लिए जाना था। दूसरी तरफ केजरीवाल भी यही चाहते थे, पर अब अकबर मंत्री नहीं है और उनके खिलाफ एक महिला है। इसलिए उनका मुख्यधारा की राजनीति में वापसी करना बहुत ही मुश्किल लग रहा है। 

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