ऑफ द रिकॉर्डः ‘गोमूत्र’ को कोरोना का उपचार बताने वाले सांसदों को मोदी ने झाड़ पिलाई

Edited By Seema Sharma,Updated: 20 Mar, 2020 09:22 AM

modi gives a shovel to mps who say gomutra is a treatment of corona

गोमूत्र’ कोरोना वायरस का उपचार है, विभिन्न स्वामियों और भगवा भक्तों द्वारा प्रस्तुत इस सिद्धांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खारिज कर दिया है। भाजपा सांसदों से बातचीत में उन्होंने इस प्रकोप के संबंध में जो बात सामने आए, उसे ट्वीट करने की सख्ती से...

नेशनल डेस्कः गोमूत्र’ कोरोना वायरस का उपचार है, विभिन्न स्वामियों और भगवा भक्तों द्वारा प्रस्तुत इस सिद्धांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खारिज कर दिया है। भाजपा सांसदों से बातचीत में उन्होंने इस प्रकोप के संबंध में जो बात सामने आए, उसे ट्वीट करने की सख्ती से मनाही की। वह विशेष रूप से इस बात पर क्रुद्ध थे कि कई सांसद इस वैश्विक बीमारी से निपटने और इसके उपचार के रूप में अपने ही नुस्खे दे रहे हैं। प्रधानमंत्री इस बात से नाखुश थे कि कुछ लोग अपने ही नुस्खे बांट रहे हैं और सांसद आंख बंद करके उनको आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने सांसदों को सलाह दी कि वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के सोशल मीडिया हैंडल पर दिए जाने वाले ट्वीट के अनुसार चलें।

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इससे पूर्व भी प्रधानमंत्री ने आयुष विभाग से उसकी वैबसाइट पर दी गई कोरोना वायरस से लडऩे की सलाहें हटवाई थीं। प्रधानमंत्री के ध्यान में यह बात लाई गई थी कि आयुष विभाग ने वायरस से लडऩे के लिए कुछ ‘देसी’ फार्मूले प्रस्तुत किए हैं जिन पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सख्त आपत्ति जताई है। यह उल्लेखनीय है कि कोरोना वारयस पर मंत्रियों के समूह में प्रधानमंत्री ने आयुष मंत्री श्रीपद नायक को शामिल नहीं किया है। कोरोना वायरस की गंभीरता और भारत सरकार एवं विभिन्न एजैंसियां उससे कैसे निपट रही हैं, सांसदों को यह बताने के लिए प्रधानमंत्री ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन से एक स्पैशल प्रैजैंटेशन दिलवाया।

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डा. हर्षवर्धन, जो स्वयं एक डाक्टर हैं, ने 30 मिनट लंबे प्रैजैंटेशन में स्लाइड्स और आंकड़ों के आधार पर बताया कि कोविड-19 से युद्ध स्तर पर लड़ाई लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से लडऩे के लिए भारत पूरी तरह हरकत में आ चुका है, अब इसके विस्तार को रोकना ही होगा। उन्होंने उन कदमों के बारे में भी बताया जो राज्य सरकारें उठा रही हैं।

 

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प्रधानमंत्री इस बात से हैरान थे कि स्वयं सांसद दुनिया भर में उभर रहे संकट की गंभीरता के प्रति सचेत नहीं हैं और इस चुनौती से निपटने के लिए कुछ नहीं कर रहे। उन्होंने उन्हें सलाह दी कि इस बीमारी के संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए छोटे-छोटे समूहों में लोगों से संपर्क करें। उन्होंने सांसदों से कहा कि 15 अप्रैल तक का समय मुश्किल भरा है और वे तब तक जन-सभाएं आदि न करें।

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