मोदी सरकार को RBI का सहारा! खाली हो रहे खजाने भरने के लिए मांगी 45 हजार करोड़ की मदद

Edited By vasudha,Updated: 11 Jan, 2020 01:43 PM

modi government asked for 45 thousand crore help from rbi

आम चुनावों में भारी बहुमत से जीतने के बाद भले ही मोदी सरकार ने भारत को आने वाले समय में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का वादा किया हो लेकिन आर्थिक संकेत कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ देश में बेरोज़गारी 45 सालों में...

बिजनसे डेस्क: आम चुनावों में भारी बहुमत से जीतने के बाद भले ही मोदी सरकार ने भारत को आने वाले समय में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का वादा किया हो लेकिन आर्थिक संकेत कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ देश में बेरोज़गारी 45 सालों में सबसे ज़्यादा हो गई है और आर्थिक वृद्धि दर में भारत चीन से पिछड़ गया है। कमाई के साधन कम होने के कारण केंद्र का सरकारी खजाना तेजी से खाली हो रहा है। इसी मंदी से बाहर निकलने के​ लिए सरकार ने एकबार फिर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से मदद की गुहार लगाई है। 

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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की मानें तो सरकार के अनुमान के हिसाब से राजस्व की प्राप्ति कम हो रही है ऐसे में वह आरबीआई से 35,000 करोड़ से 45,000 करोड़ रुपये तक की मदद ले सकते हैं। सरकार का मानना है कि 2019-20 एक अपवाद है ऐसे में आरबीआई लाभांश का हिस्सा जारी करे। अगर आरबीआई ने केंद्र सरकार की मांग को मान ली तो यह लगातार तीसरा साल होगा, जब सरकार के पास अंतरिम लाभांश आएगा। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2019-20) के लिए केंद्र सरकार को लगभग 1.76 लाख करोड़ रुपए का लाभांश दिया था। 

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दरअसल RBI अपने सरप्लस कैश को चरणबद्ध तरीके से 3 से 5 साल में सरकार को ट्रांसफर करेगा। इससे चरणबद्ध तरीके सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों की मदद और बाज़ार में कैश फ्लो बढ़ाने में मदद मिलेगी। आरबीआई द्वारा सरप्लस ट्रांसफर से केंद्र सरकार को सार्वजनिक कर्ज चुकाने तथा बैंकों में पूंजी डालने में मदद मिलेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा कर चुकी हैं, जिससे बाजार में 5 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है। 

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बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने रेवेन्यू का लक्ष्य 19.6 लाख करोड़ रुपये रखा है, लेकिन आर्थिक सुस्ती के कारण कमाई उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रही है। कॉर्पोरेट टैक्स रेट में कटौती के कारण हर साल खजाने पर 1.5 लाख करोड़ का बोझ बढ़ा है। इसके अलावा जीएसटी से भी हर महीने उम्मीद के मुताबिक कमाई नहीं हो पा रही है।

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