Edited By vasudha,Updated: 02 Feb, 2020 04:49 PM
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इतिहास के सबसे लंबा भाषण पढऩे के बाद भी देश के किसी भी तबके में भरोसा जीतने में नाकाम रही। देश को भरोसा था कि गिरती विकास दर, जीडीपी, महंगाई, बेरोजगारी, मांग, निवेश, खपत और आय को बढ़ाने के लिए बड़े कदम बजट में...
बिजनेस डेस्क (वसुधा शर्मा): केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इतिहास के सबसे लंबा भाषण पढऩे के बाद भी देश के किसी भी तबके में भरोसा जीतने में नाकाम रही। देश को भरोसा था कि गिरती विकास दर, जीडीपी, महंगाई, बेरोजगारी, मांग, निवेश, खपत और आय को बढ़ाने के लिए बड़े कदम बजट में अवश्य उठाये जायेंगे लेकिन ऐसा कुछ दिखाई ही नहीं दिया। पूरे भाषण में बेरोजगारी और ग्रामीण संकट जैसे कई मुद्दों पर तो चर्चा ही नही हुई।
अगर ये कहें कि निर्मला के पिटारे से आम लोगों की झोली नहीं भर पाई तो वह गलत नहीं होगा। जनता की राय जानने के लिए पंजाब केसरी ने ऑनलाइन सर्वे करवाया, जिसमें 82.3% लोगों ने माना कि मोदी सरकार का बजट उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रहा। इसके साथ ही 17.7% लोगों ने इसे सही बताया।
बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दूसरे बजट में सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिये नौकरी पेशा करदाताओं को आयकर में राहत देने वाले नये कर ढांचे के साथ ही कंपनियों को लाभांश वितरण कर से मुक्ति देने और आम आदमी के जीवन को आसान बनाने के लिये खेती, किसानी और ढांचागत क्षेत्र में रिकार्ड खर्च करने की नई योजनायें घोषित की। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि अपेक्षाओं से यह बजट काफी दूर है।