राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण को लेकर कितनी संजीदा है मोदी सरकार

Edited By shukdev,Updated: 22 Aug, 2018 09:48 PM

modi government is so sensitive about increasing criminalization in politics

2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने देश से एक वायदा किया था कि उनकी सरकार किसी भी दागी सांसद को नहीं माफी नहीं करेगी भले ही वह बीजेपी का हो या एनडीए का। इस बयान पर मोदी ने खूब तालियां बटोरी थी और खूब वाह वाह भी लूटी थी। सुनने में...

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने देश से एक वायदा किया था कि उनकी सरकार किसी भी दागी सांसद को टिकट नहीं देगी भले ही वह बीजेपी का हो या एनडीए का। इस बयान पर मोदी ने खूब तालियां बटोरी थी और खूब वाहवाही भी लूटी थी, सुनने में बहुत अच्छा लगा था। केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री चुने गए। आज उस वायदे को चार साल से ज़्यादा हो गए हैं। आगामी लोकसभा चुनाव को कुछ महीने रह गए हैं। मोदी सरकार ने भी वही रवैया अपनाया जो पूर्व सरकारें अपनाती रही हैं,खैर वायदा तो तोड़ने के लिए ही किये जाते हैं।

PunjabKesariराजनीति पर बढ़ते अपराधीकरण को रोकने और दागी सांसदों और विधायकों को जेल भेजने में मोदी सरकार कितनी संजीदा है, वो मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए उसके जवाब से ही पता चलता है। सरकार ने कल सुप्रीम कोर्ट के उस सुझाव को नजरअंदाज  कर दिया, जिसमे कोर्ट ने पूछा था कि दागी उम्मीदवारों को टिकट देने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता क्यों न रद्द कर दी जाए? अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने अदालत के सुझाव का जोरदार विरोध करते हुए दलील दी कि इस मुद्दे पर केवल संसद ही फैसला ले सकती है, यह अदालत के दायरे में नहीं आता। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने ये सवाल इस संबंध में दाखिल कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उठाए थे।

PunjabKesariनीचे दिए गए आंकड़े देखकर आप समझ जाएंगे कि मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की दखलअंदाज़ी क्यों नागवार गुज़री। हकीकत यह है कि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर अमल होता तो सबसे पहले गाज बीजेपी पर ही गिरती। सबसे पहले बीजेपी का ही पंजीकरण रद्द होगा।

  • एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक:
  • पिछले पांच साल में बीजेपी ने सबसे ज़्यादा (47) आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार मैदान में उतारे। 
  • दूसरे नंबर पर बसपा रही, उसने भी ऐसे 35 उम्मीदवारों को टिकट दिया।
  • तीसरे नंबर पर कांग्रेस है जिसने ऐसे 24 उम्मीदवारों को टिकट दिए।
     

PunjabKesari14 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 1581 ऐसे उम्मीदवारों की सुनवाई के लिए 12 विशेष अदालत बनाने का आदेश दिया था साथ ही 1 मार्च से सुनवाई भी शुरू होनी थी।हद तो यह है कि मोदी के वायदों के पिटारे से अभी तक केवल दो विशेष अदालतें ही वजूद में आ सकीं हैं। जब भी सुप्रीम कोर्ट सियासत को अपराधियों से दूर करने के लिए कदम बढ़ाता है तो उसके रास्ते में पक्ष—विपक्ष एकजुट होकर खड़ा  हो जाता है। जब मामला अपने हितों की रक्षा का हो तो सभी पार्टियों के सुर एक हो जाते हैं। वैसे यह सब कुछ संसद की गरिमा को बचाने के नाम किया जाता है। 

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