इस हफ्ते दूसरे राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है मोदी सरकार, वित्त मंत्री करेंगी बैकों के CMD से मुलाकात

Edited By Yaspal,Updated: 10 May, 2020 11:33 PM

modi government may announce another relief package this week

मोदी सरकार बड़े वित्तीय राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण गहराए आर्थिक संकट की भरपाई के लिए यह पैकेज लाया जा रहा है। पैकेज का ऐलान इसी हफ्ते किया जा सकता है। विपक्ष ने भी सरकार से पैकेज लाने की मांग की थी। पूर्व कांग्रेस...

नई दिल्लीः मोदी सरकार बड़े वित्तीय राहत पैकेज का ऐलान कर सकती है। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण गहराए आर्थिक संकट की भरपाई के लिए यह पैकेज लाया जा रहा है। पैकेज का ऐलान इसी हफ्ते किया जा सकता है। विपक्ष ने भी सरकार से पैकेज लाने की मांग की थी। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को फिर से पैकेज की मांग पर जोर दिया। सूत्रों का कहना है कि “विचार विमर्श शीर्ष स्तर पर एक हफ्ता पहले ही खत्म हो गया था। अगर अचानक से कोरोना केसों की संख्या में तेज उछाल ना आया होता।” प्रधानमंत्री का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मंत्रालय के अधिकारियों के साथ विमर्श का फाइनल राउंड 2 मई को हुआ था।
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सूत्रों ने बताया कि पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी राहत पैकेज को अंतिम रूप देने में लगे हैं। अगला कदम पैकेज का एलान होगा। बड़े कदम पर वित्त सिस्टम को तैयार रखने के लिए सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राष्ट्रीय बैंकों के सीएमडी और सीईओ से मुलाकात करेंगी।

सरकार और सलाहकार निकायों के सूत्रों ने दावा किया कि पैकेज में राहत, पुनर्वास, लॉकडाउन के बाद जिंदगी को सामान्य पटरी पर लौटाने और कोरोना महामारी के अर्थव्यवस्था पर पड़े असर पर फोकस रहेगा। प्रधानमंत्री और उनके दफ्तर ने विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और आरबीआई जैसे वैधानिक संस्थानों के साथ कई दौर की बैठकें की हैं।
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सूत्रों का कहना है कि ‘बिग बैंग पैकेज’ सरकार का पहला विकल्प नहीं था। बल्कि ये विभिन्न सेक्टर्स के लिए चरणबद्ध ढंग से और आरबीआई की मदद से लक्षित पैकेज को तरजीह दे रही थी। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए पीएमओ की ओर से व्यापक प्रस्ताव तैयार किया गया बताया जाता है। इसमें MSME यूनिट्स और वहां काम करने वाले लोगों, दोनों पर दबाव कम करने के प्रावधान होंगे। MSME मंत्रालय ने अपनी ओर से कई प्रस्ताव भेजे हैं।

सरकार के पास ऐसा प्रस्ताव भी है कि पैसा सीधा गरीबों और जरूरतमंदों के हाथों में पहुंचाया जाए। विपक्ष और विशेषज्ञ भी दिहाड़ी मजदूर और प्रवासी मजदूरों जैसे समाज के 30-40 प्रतिशत तबके पर अधिक ध्यान देने पर जोर दे रहे हैं। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने एक लेख में अनुमान लगाया कि सरकार को तीन महीने के लिए 10 करोड़ कर्मचारियों को कम से कम 2000 रुपए सीधे ट्रांसफर करने पर 60,000 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
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सूत्रों ने बताया कि टैक्स और अन्य इंसेंटिव्स के जरिए बड़े उद्योग और कार्पोरेट्स को हेल्पिंग हैंड देने का प्रस्ताव भी सरकार के पास एक महीने से विचाराधीन है. मैन्युफैक्चरिंग, सर्विसेज और उद्योग 42 प्रतिशत रोजगार देते हैं लेकिन इनका जीडीपी को योगदान 70 प्रतिशत से ज्यादा है।

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