मोदी सरकार की बड़ी जीत, तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास

Edited By Yaspal,Updated: 30 Jul, 2019 08:34 PM

तीन तलाक बिल पर मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है। मंगलवार को राज्यसभा में पेश किए गए 'द मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल, 2019 सदन से पास हो गया है। विधेयक के पक्ष में 99 वोट, जबकि विपक्ष में 84 वोट...

नेशनल डेस्कः तीन तलाक बिल पर मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है। मंगलवार को राज्यसभा में पेश किए गए 'द मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल, 2019 सदन से पास हो गया है। विधेयक के पक्ष में 99 वोट, जबकि विपक्ष में 84 वोट पड़े। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा से पास हो चुका है। राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में आए सभी संसोधन खारिज हो गए। विपक्ष ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग की, जिसे 84 के मुकाबले 100 वोट से खारिज कर दिया गया। तीन तलाक बिल पर भाजपा की सहयोगी पार्टी जेडीयू और एआईडीएमके ने सदन का बहिष्कार किया। इसके अलावा कांग्रेस के चार, समाजवादी पार्टी के दो और एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल ने विधेयक पर वोटिंग करने से मना कर दिया। वहीं बीजू जनता दल ने बिल का समर्थन किया।

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मुस्लिम बहनों को सड़क पर नहीं छोड़ सकतेः रविशंकर प्रसाद
'द मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) बिल पर बोलते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राजनीतिक चश्मे से न देखकर मुस्लिम महिलाओं के हित में देखें।उन्होंने तीन तलाक पर चर्चा करते हुए कहा कि हम बेटियों को फुटपाथ पर नहीं छोड़ सकते। कानून मंत्री ने कहा कि तीन तलाक बिल पर आज का दिन ऐतिहासिक। वहीं कांग्रेस ने तीन तलाक पर तहा कि सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की चिंता क्यों हैं। सभी धर्मों में तलाक एक बहुत बड़ा मुद्दा है। बता दें कि रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में 'द मुस्लिम वीमेन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज) 2019 विधेयक पेश किया।
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रविशंकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पा रही थी और छोटी-छोटी बातों पर तीन तलाक दिया जा रहा था, हम इसी वजह से फिर से कानून लेकर आए हैं।मंत्री ने कहा कि लोगों को शिकायतों के बाद बिल में कुछ बदलाव भी किए गए हैं। अब इसमें बेल और समझौता का प्रावधान भी रखा गया है। इस सवाल को वोट बैंक के तराजू पर न तौला जाए, यह सवाल नारी न्याय, नारी गरिमा और नारी उत्थान का सवाल है।

क्या है तीन तलाक विधेयक?

  • सरकार ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ नाम से इस विधेयक लाया। यह कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा।
  • इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा।
  • तीन तलाक वह चाहें मौखिक हो, लिखित और या मैसेज में, वह अवैध होगा।
  • अगर कोई तीन तलाक देता है तो उसको तीन साल की सजा के साथ जुर्माना होगा। इसमें मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा।
  • इस बिल के मुताबिक पीड़ित महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है। मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे। प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा है।
  • तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए पीएम मोदी ने एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली,  सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे।

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क्यों जरुरत पड़ी ट्रिपल तलाक बिल की?
80 के दशक में मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली 60 साल की शाह बानो को उनके पति ने तलाक़ दे दिया था। बच्चों के पालन पोषण के लिए शाह बानो ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया ताकि उसे अपने पति से भत्ता मिल सके। मामला निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। 23 अप्रैल 1985 को सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आदेश दिया  कि आईपीसी की धारा 125 जो तलाकशुदा महिला को पति से मिलने वाले भत्ते का हकदार बनाता है, मुस्लिम  महिलाओं पर भी लागू होगा। मगर मुस्लिम समाज  ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कड़ा विरोध किया।
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आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दबाव के आगे झुकते हुए तत्कालीन राजीव गांधी सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला अधिनियम पारित किया। इसके आधार पर शाहबानो के पक्ष में सुनाया गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया गया।  आज भी मुस्लिम महिलाओं की स्थिति वही है जो तीस साल पहले थी। फ़र्क़ सिर्फ इतना आया है कि पहले शाहबानो थी अब शायरा बानो है। शायरा बानो की लड़ाई में अन्य मुस्लिम महिलाएं भी जुड़ गईं जो इस कुप्रथा से पीड़ित थीं। उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली शायरा बानो  की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में फिर मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया।

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