मोदी के स्वच्छता अभियान पर रेलवे फेर रहा पानी, स्लीपर कोच में मग तक नहीं

Edited By ,Updated: 19 May, 2017 04:32 PM

modi government three years complete

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महात्वाकांक्षी ‘स्वच्छता अभियान’ कार्यक्रम के तमाम दावों को झुठलाते हुए रेलवे अपनी औपनिवेशिक

पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महात्वाकांक्षी ‘स्वच्छता अभियान’ कार्यक्रम के तमाम दावों को झुठलाते हुए रेलवे अपनी औपनिवेशिक मानसिकता के दबाव में आज भी देश की करीब 70 फीसदी आम आबादी के साथ ‘कैटल क्लास’ का बर्ताव करने की जिद्द पर अड़ा है, जिसका नतीजा है कि मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के डेढ़ साल बाद भी रेलवे बोर्ड सामान्य और स्लीपर कोच के शौचालयों में यात्रियों की बुनियादी जरूरत का सामान ‘मग’ की व्यवस्था तक नहीं करना चाहता जबकि वातानुकूलित डिब्बों में यह सुविधा आम है। इसके अलावा देश की आजादी के 70 साल बाद भी रेलवे सभी प्रकार के कोच में यात्रियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुख-सुविधाओं का भी वर्गीकरण तक नहीं कर सका है। 

RTI के जरिए हुआ खुलासा
यह खुलासा हुआ है रेल मंत्रालय से इस विषय में सूचना का अधिकार (आरटीआई) के जरिए पूछे गए सवालों के जवाब में। आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि रेल मंत्रालय ने 10 नवंबर 2015 को सभी ट्रेनों के वातानुकूलित एवं गैर वातानुकूलित डिब्बों के शौचालयों में चैन लगा स्टील का मग रखने का आदेश दिया था। आदेश पारित होने के डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी रेलवे इस पर अमल करने के मूड में नहीं है। रेल मंत्रालय ने इसके अलावा इस संदर्भ में वर्ष 1997 में रेलवे बोर्ड के एक प्रस्ताव का उल्लेख करते हुए रेलवे के सभी महाप्रबंधकों के साथ ही यात्रियों की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से आधुनिक, सुरक्षित एवं किफायती प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने वाले संगठन शोध डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) को निर्देश दिया था। इसके बावजूद ट्रेन के गैर वातानुकूलित डिब्बों के शौचालयों में आज भी स्वच्छता से जुड़ी बुनियादी वस्तु मग उपलब्ध नहीं कराया जा सका है। 

शौचालयों में मग की सुविधा नहीं
हालांकि आश्चर्य तो यह है कि इस संगठन ने वर्ष 2014 से स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई बार विशेष स्वच्छता कार्यक्रम चलाए लेकिन उसे शौचालयों में मग जैसी तुच्छ वस्तु उपलब्ध कराने की अनिवार्यता आजतक समझ में नहीं आई। पूर्व-मध्य रेलवे के मुख्य जन संपर्क अधिकारी अरविंद कुमार रजक ने कहा, ‘अभी तक ट्रेन के सामान्य और स्लीपर डिब्बों के शौचालयों में मग की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है लेकिन कुछ ट्रेनों के गैर वातानुकूलित नए कोचों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।’ उन्होंने कहा कि यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बड़ी संख्या में स्टील मग की जरूरत होने के कारण अभी तक वर्ष 2015 के मंत्रालय के आदेश पर अमल नहीं किया जा सका है। 

रेल मंत्रालय ने जारी किया था आदेश 
आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि रेलवे बोर्ड से ट्रेन के सभी कोच में स्टील का मग उपलब्ध कराने के बारे में समय-समय पर प्रजेंटेशन मिलने के बाद रेल मंत्रालय ने यह आदेश जारी किया था। वित्त मंत्रालय की सहमति से वर्ष 2015 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। रेलवे बोर्ड के निदेशक (मैकेनिकल) ब्रिजेश दीक्षित ने आरटीआई के जवाब में दावा किया है कि रेलवे द्वारा ट्रेन के डिब्बों में शौचालय, वाशबेसिन, कूड़ादान, शीशा, स्नैक टेबल, पानी का बोतल रखने वाला होल्डर, सामान रखने वाला छोटा रैक के साथ ही मोबाइल और लैपटॉप की बैटरी चार्ज करने के लिए सॉकेट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन वातानुकूलित और गैर वातानुकूलित कोच में यात्रियों को मिल वाली सुविधाओं का वर्गीकरण अभी तक नहीं किया गया है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!