Edited By shukdev,Updated: 05 Aug, 2018 08:31 PM
कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने यह कहते हुए खुद ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एन आर सी) से संबंधित प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की थी कि इस तरह के कदम से कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन...
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने यह कहते हुए खुद ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एन आर सी) से संबंधित प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की थी कि इस तरह के कदम से कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि अटॉर्नी जनरल ने 2017 में एन आर सी में विलंब का कारण हिंसा का डर बताया था, जिसके लिए शीर्ष अदालत ने उनकी ङ्क्षखचाई की थी।
राजीव गांधी ने 1985 में असम समझौते पर किए थे हस्ताक्षर
खेड़ा ने कहा, ‘झूठ के शाह और जुमलों के शहंशाह ने एन आर सी को बाधित करने की अपनी पूरी कोशिश की थी। मैं आपको बताऊंगा कि उन्होंने एन आर सी प्रक्रिया को रोकने, विलंबित करने और बाधित करने के लिए किस तरह से साजिश रची थी।’ कांग्रेस का यह बयान पार्टी द्वारा असम में एन आर सी को ‘कांग्रेस पार्टी का शिशु’ बताए जाने और यह कहे जाने के एक दिन बाद आया कि यह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के परिणामस्वरूप सामने आया था। खेड़ा ने आरोप लगाया कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संसद में यह कहकर झूठ बोला है कि सरकार ने एन आर सी को क्रियान्वित करने का साहस दिखाया।
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार
उन्होंने कहा कि 30 नवंबर 2017 की तारीख इतिहास में याद रखी जाएगी जब उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की जमकर ङ्क्षखचाई की थी। खेड़ा ने कहा, ‘30 नवंबर 2017 को उच्चतम न्यायालय ने असम में एन आर सी प्रक्रिया को विलंबित करने के लिए मोदी सरकार की बहानेबाजी को लेकर उसकी जमकर ङ्क्षखचाई की थी। अटॉर्नी जनरल ने हिंसा के डर का बहाना बनाया था।’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल की खिंचाई की थी और ‘पूर्ण निष्क्रियता’ तथा हिंसा एवं कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या होने की आशंका के नाम पर मामले को तीन साल से अधिक समय तक खींचने को लेकर सरकार की आलोचना की थी।