Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Feb, 2018 11:42 AM
मोदी का ध्यान इस पर है कि सांसद सत्र व अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे दौरान ज्यादा से ज्यादा योगदान करें लेकिन उनकी इस सलाह को उनके ही मंत्री नहीं मान रहे हैं। 29 जनवरी को संसद में एक ऐसी घटना घटी जब उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू विभिन्न दलों के...
नेशनल डेस्कः मोदी का ध्यान इस पर है कि सांसद सत्र व अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे दौरान ज्यादा से ज्यादा योगदान करें लेकिन उनकी इस सलाह को उनके ही मंत्री नहीं मान रहे हैं। 29 जनवरी को संसद में एक ऐसी घटना घटी जब उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू विभिन्न दलों के नेताओं संग अपने चैंबर में बैठे थे लेकिन सरकार की तरफ से वहां कोई भी मौजूद नहीं था।
यह व्यापार सलाहकार कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक थी जिसमें संसद के सत्र के लिए सबकी सहमति से एजैंडा तय किया जाना था लेकिन इस बैठक में सरकार की तरफ से न तो संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार और न ही राज्य मंत्री विजय गोयल, यहां तक कि राज्यसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक तक भी मौजूद नहीं थे। इसे लेकर नायडू साफ तौर पर नाराज दिखे।