मोदी का ब्रिटेन से अवैध प्रवासी भारतीयों की वापसी के MoU पर हस्ताक्षर से इंकार

Edited By Tanuja,Updated: 31 May, 2018 05:08 PM

modi refused to sign mou on illegal indians as uk didn t ease visas

ब्रिटेन में अवैध रूप से रह रहे हजारों भारतीय प्रवासियों की घर वापसी से जुड़े करार (MoU) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। दरअसल, ब्रिटेन द्वारा भारतीयों को आसानी से वीजा न दिए जाने की वजह से पीएम मोदी ने यह फैसला लिया...

लंदनः ब्रिटेन में अवैध रूप से रह रहे हजारों भारतीय प्रवासियों की घर वापसी से जुड़े करार (MoU) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। दरअसल, ब्रिटेन द्वारा भारतीयों को आसानी से वीजा न दिए जाने की वजह से पीएम मोदी ने यह फैसला लिया। लंदन में भारतीय दूतावास के सूत्रों ने   बताया कि इसी साल जनवरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने इस द्विपक्षीय समझौते की शुरुआत की थी लेकिन जब अप्रैल में पीएम मोदी लंदन गए तो उन्होंने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि भारत को ब्रिटेन की तरफ इस समझौते को लेकर कोई प्रगति नहीं दिखी। 

यह समझौता मोदी की यात्रा के दौरान एक मुख्य द्विपक्षीय समझौता मानी जा रही थी। ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे जब नवंबर 2017 में भारत आई थीं तो उन्होंने  मोदी से कहा था कि यूके वीजा देने की प्रक्रिया को लेकर सुधार करेगा, अगर इस दौरान उन भारतीयों की वापसी में तेजी आती है जिन्हें यूके में रहने का हक नहीं है। बुधवार को गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'इस MoU के लिए इमिग्रेशन मिनिस्टर कैरोलीन नोक्स और भारतीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने 11 जनवरी को पहल की थी ताकि यूके में अवैध रूप से रह रहे भारतीयों की जल्द से जल्द स्वदेश वापसी हो।' 

भारतीय दूतावास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने  बताया, 'जब थेरेसा मे भारत आई तीं तो उन्होंने कहा था कि भारतीयों की वापसी में तेजी से भारतीयों को यूके के वीजा मिलने भी तेजी आएगी, लेकिन  ऐसा दिख नहीं रहा है। यूके स्पाउज वीजा देने से इंकार कर रहा है और छोटे समय के लिए वीजा नहीं दिए जा रहे। यह एक शत्रुतापूर्ण वातावरण लग रहा है। हमें माइग्रेशन में आसानी चाहिए। खासकर भारतीय स्टूडेंट और यहां कंपनियों में काम करने के लिए आने वालों के लिए छोटे समयावधि के वीजा देने में तेजी लानी चाहिए।' 

उन्होंने चीन को 2 साल के लिए मल्टीपल-एंट्री विजिट वीजा का हवाला देते हुए कहा, 'हमें एक बेहतर वीजा प्रणाली चाहिए। अगर वे चीन के लोगों को दे सकते हैं तो भारतीयों को क्यों नहीं?' अधिकारी ने बताया कि समझौते पर हस्ताक्षर न किए जाने का एक और कारण यह है कि MoU पर लोगों की पहचान के लिए जो समयावधि दी गई है वह व्यावहारिक नहीं है। MoU के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों को 70 दिनों यूके में रह रहे संदिग्ध अवैध भारतीय प्रवासी की पहचान करनी है। 

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