ऑफ द रिकॉर्डः मोदी ने CVC, संसदीय पैनल के फैसले को किया खारिज

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Nov, 2018 10:35 AM

modi rejects cvc parliamentary panel verdict

यद्यपि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) और संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि डी.ओ.पी. को सी.बी.आई. का स्वतंत्र निदेशक बनाया जाना चाहिए। संसदीय समिति ने पिछले वर्ष दिसम्बर में सुझाव दिया था

नेशनल डेस्कः यद्यपि केंद्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) और संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि डी.ओ.पी. को सी.बी.आई. का स्वतंत्र निदेशक बनाया जाना चाहिए। संसदीय समिति ने पिछले वर्ष दिसम्बर में सुझाव दिया था कि सी.बी.आई. में डी.ओ.पी. का पद सी.बी.आई. के निदेशक के रैंक और स्तर का होना चाहिए ताकि वह स्वतंत्र रूप से कार्य कर सके। सी.वी.सी. ने भी बताया था कि निदेशक सी.बी.आई. के तहत डी.ओ.पी. के काम करने की बजाय स्वतंत्र डी.ओ.पी. का गठन करना विवेकशील है मगर मोदी सरकार ने सभी शक्तियां सी.बी.आई. निदेशक को सौंप दीं और सुझावों को रद्द कर दिया।

कार्मिक प्रशिक्षण विभाग (डी.ओ.पी.टी.) ने इस पद की भर्ती के लिए नए नियम जारी किए हैं जिसके तहत सिविल सर्वैंट, विभिन्न मंत्रालयों में काम करने वाले अधिकारी इस पद के लिए अप्लाई कर सकते हैं। भारत सरकार ने कहा कि संयुक्त सचिव के रैंक से कम रैंक के अधिकारी इसका आवेदन करने के योग्य नहीं। सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों से नाम मांगे हैं ताकि इस पद के लिए योग्य और इच्छित अधिकारियों के नाम दिए जाएं। विशेष वकील के रूप में 10 साल से अधिक समय तक प्रैक्टिस करने वाले एडवोकेट भी इस पद के लिए योग्य हैं। सरकार नए डी.ओ.पी. की पूर्ण समकालीन नियुक्ति में इसलिए विलम्ब कर रही है क्योंकि वह 1 फरवरी को सी.बी.आई. निदेशक आलोक वर्मा की सेवानिवृत्ति के इंतजार में है।

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