Edited By Seema Sharma,Updated: 27 Dec, 2018 10:08 AM
केन्द्र और राज्यों में कांग्रेस सरकारों द्वारा किसानों के ऋण माफ करने और रियायतें देने की आलोचना करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब कृषि क्षेत्र को बड़े पैमाने पर रियायतें देने के विचार पर बड़ी गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
नेशनल डेस्कः केन्द्र और राज्यों में कांग्रेस सरकारों द्वारा किसानों के ऋण माफ करने और रियायतें देने की आलोचना करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब कृषि क्षेत्र को बड़े पैमाने पर रियायतें देने के विचार पर बड़ी गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इनमें ऋण माफी योजना या फिर छोटे और मध्यम किसानों को प्रति एकड़ आधार पर लाभ सीधे तौर पर उनके बैंक खातों में स्थानांतरित करना शामिल है। पी.एम.ओ. का यह विचार है कि ऋण माफी योजनाओं ने चुनावों में पार्टियों को विजय दिलाने में मदद की थी। 1989 के लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान वी.पी. सिंह-देवीलाल संयुक्त द्वारा इसका प्रयास किया गया था और उन्हें बेहद सफलता मिली थी।
1990 में इस योजना का केन्द्रीय खजाने पर 10,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा था। 2008 में मनमोहन सिंह सरकार द्वारा 52260 करोड़ रुपए के किसानों के ऋण माफ किए गए थे और फिर वह सत्ता में वापस लौटे। पी.एम.ओ. में उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रत्येक राज्य में उन किसानों की पहचान करने के लिए युद्ध स्तर पर आंकड़े एकत्रित किए जा रहे हैं जिन्हें राष्ट्रीय ऋण माफी लाभ की जरूरत होगी। 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक के ऋण माफ करने की योजना से किसान समुदाय को एक सशक्त संकेत जाएगा कि मोदी सरकार उनके कल्याण के बारे में गंभीर है और उन्हें हताशा से बाहर निकालेगी।
एक प्रस्ताव यह भी है कि छोटे और मध्यम किसानों को उनकी जमीन के आधार पर उनके खातों में सीधे नकद सबसिडी दी जाए। यह नकद सबसिडी उन किसानों को दी जाएगी जिनके पास 5 एकड़ जमीन है मगर समस्या यह है कि इस ऋण माफी योजना का बैंकों को भी लाभ होगा जो केन्द्र से सीधा धन प्राप्त करेंगे और किसानों को भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। अगर केन्द्र ने किसानों को उनके बैंकों में सीधे अदायगी की तो वे बैंक ऋण वापस नहीं करेंगे इसलिए अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय समिति विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है।