एससीओ सम्मेलन में बोले PM मोदी, एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करना जरूरी

Edited By Pardeep,Updated: 10 Nov, 2020 11:05 PM

modi said in sco conference it is necessary to respect each other s sovereignty

चीन और पाकिस्तान को दिए गए सख्त संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सभी सदस्य राष्ट्रों को एक-दूसरे की सार्वभौमिकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस ...

नई दिल्लीः चीन और पाकिस्तान को दिए गए सख्त संदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सभी सदस्य राष्ट्रों को एक-दूसरे की सार्वभौमिकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने एससीओ के एजेंडे में द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयासों को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण'' करार दिया और कहा कि भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भी इस सम्मेलन में मौजूद थे। 

सम्मेलन की अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन कर रहे थे। प्रधानमंत्री का ये बयान पूर्वी लद्दाख में पिछले दिनों भारत और चीन के बीच सीमा पर हुई हिंसक झड़प और कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण के पाकिस्तान के प्रयासों तथा सीमापार से भारत के खिलाफ उसके द्वारा चलाई जा रही आतंकवादी गतिविधियों की पृष्ठभूमि में आठ देशों वाले एससीओ शिखर सममेलन में आया। 

सदस्य राष्ट्रों के बीच संपर्क मजबूत करने में भारत की सहभागिता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘एससीओ क्षेत्र से भारत का घनिष्ठ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध रहा है। हमारे पूर्वजों ने इस साझा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को अपने अथक और निरंतर संपर्कों से जीवंत रखा। अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कोरिडोर , चाबहार पोर्ट, अश्गाबात समझौते, जैसे कदम संपर्क के प्रति भारत के मजबूत संकल्प को दर्शाते हैं। भारत का मानना है कि संपर्क को और अधिक गहरा करने के लिए यह आवश्यक है कि एक दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के मूल सिद्धांतों के साथ आगे बढ़ा जाए।'' 

मोदी ने अपने संबोधन में एससीओ के एजेंडे में द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयासों को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण'' करार दिया और कहा कि भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है और कोविड-19 महामारी की आर्थिक तथा सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व को उसकी व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की अपेक्षा है। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र ने अपने 75 वर्ष पूरे किए हैं। लेकिन अनेक सफलताओं के बाद भी संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है। महामारी की आर्थिक और सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व की अपेक्षा है कि संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन आए।'' 

उन्होंने आज की वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाने वाले और सभी हितधारकों की अपेक्षाओं, समकालीन चुनौतियों तथा मानव कल्याण जैसे विषयों पर चर्चा के लिए ‘‘बहुपक्षीय सुधार'' की आवश्यकता पर बल दिया और उम्मीद जताई कि इस प्रयास में एससीओ के सदस्य राष्ट्रों का पूर्ण समर्थन मिलेगा। मोदी ने कहा कि भारत का शांति, सुरक्षा और समृद्धि पर दृढ़ विश्वास है और उसने हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, मादक द्रव्य और धन शोधन के विरोध में आवाज उठाई है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार, एससीओ के तहत काम करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसके एजेंडे में बार-बार, अनावश्यक रूप से, द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयास हो रहे हैं। यह एससीओ चार्टर और ‘शंघाई भावना' का उल्लंघन करते हैं। इस तरह के प्रयास एससीओ को परिभाषित करने वाली सर्वसम्मति और सहयोग की भावना के विपरीत हैं।'' 

प्रधानमंत्री ने कहा कि अभूतपूर्व महामारी के इस अत्यंत कठिन समय में भी भारत के फार्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाएं भेजी हैं। उन्होंने भरोसा दिया कि दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में भारत अपनी वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लड़ने में पूरी मानवता की मदद करने के लिए करेगा। मोदी ने कहा कि एससीओ में भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि वह पहली बार इसके शिखर सम्मेलन स्तर की बैठक का आयोजन करने जा रहा है। 

उन्होंने कहा, ‘‘इस बैठक के लिए एक व्यापक एजेंडा तैयार किया गया है, जिसमें आर्थिक सहयोग के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया गया है। हमने स्टार्टअप इकोसिस्टम में अपने समृद्ध अनुभव को साझा करने के लिए नवाचार और स्टार्टअप्स पर विशेष कार्यकारी समूह की स्थापना का प्रस्ताव रखा है। हमने पारंपरिक चिकित्सा पर कार्यकारी समूह का भी प्रस्ताव रखा है, ताकि एससीओ देशों में पारंपरिक और प्राचीन चिकित्सा के ज्ञान और समकालीन चिकित्सा में हो रही प्रगति एक दूसरे के पूरक बन सकें।'' 

प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि आर्थिक बहुपक्षवाद और राष्ट्रीय क्षमता निर्माण के मिश्रण से एससीओ के सदस्य देश कोरोना महामारी से हुए आर्थिक नुकसान के संकट से उभर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम महामारी के बाद के विश्व में ‘आत्मनिर्भर भारत' की दृष्टि के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि ‘आत्मनिर्भर भारत' वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक ‘फोर्स मल्टीप्लायर' साबित होगा और एससीओ क्षेत्र की आर्थिक प्रगति को गति प्रदान करेगा।'' 

डिजीटल माध्यम से यह पहला एससीओ सम्मेलन था। वर्ष 2017 में भारत के इस गुट के पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद तीसरा सम्मेलन है। एससीओ नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 महामारी के चलते उपजी चुनौतियों और विपरीत स्थितियों के बीच इस बैठक को आयोजित करने के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बधाई दी। 

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