एकता रही कायम तो कठिन होगी मोदी-शाह की राह

Edited By Vatika,Updated: 25 Jul, 2018 10:25 AM

modi shah s mission 2019

2 दिन पहले जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने कांग्रेसाध्यक्ष राहुल गांधी को गठबंधन के चेहरे के रूप में प्रदर्शित किया था तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भारी उत्साह का प्रदर्शन किया था और भाजपा के नेताओं का कहना था कि अब विपक्षी गठबंधन में तूफान आएगा...

जालंधर(वरिंदर सिंह): 2 दिन पहले जब कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने कांग्रेसाध्यक्ष राहुल गांधी को गठबंधन के चेहरे के रूप में प्रदर्शित किया था तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भारी उत्साह का प्रदर्शन किया था और भाजपा के नेताओं का कहना था कि अब विपक्षी गठबंधन में तूफान आएगा तथा गठबंधन टूट जाएगा, परंतु जिस प्रकार से तीसरे दिन भी किसी विपक्षी पार्टी ने राहुल गांधी के नाम का विरोध नहीं किया है, उससे ऐसा लगने लगा है कि मोदी-शाह की मिशन-2019 में राह आसान नहीं होगी।

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भाजपा को उम्मीद थी कि राहुल गांधी के नाम की घोषणा होते ही अन्य विपक्षी पार्टियां भी अपने-अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों का नाम आगे कर देंगे और विपक्षी एकता पहले दौर में ही भंग हो जाएगी, लेकिन अभी तक जो समाचार मिले, उनमें राहुल गांधी के समर्थन में तो कई पार्टियां उभर कर आई हैं लेकिन किसी ने भी विरोध का आभास नहीं कराया है। ऐसे में किसी भी विपक्षी पार्टी का राहुल गांधी के खिलाफ  न बोलना कांग्रेस की जीत तथा भाजपा की हार के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में विपक्षी पार्टियों ने राहुल को नकारा नहीं है। 

PunjabKesariइन परिस्थितियों में ऐसा दिखाई देने लगा है कि विपक्ष ने अब किसी भी कीमत पर भाजपा को हराने का मन बना लिया है। हो सकता है कि बसपा सुप्रीमो मायावती, मुलायम सिंह यादव, शरद पवार तथा ममता बनर्जी के मन में भी कहीं प्रधानमंत्री बनने की इच्छा हो, लेकिन लगता है कि 2019 के चुनाव परिणामों से पहले अपने मन की बात को मन में ही रखने का निर्णय लिया है।गठबंधन को बहुमत मिलने पर प्रधानमंत्री पद के लिए थोड़ा-बहुत संघर्ष दिखाई दे, लेकिन ऐसा लगता है कि फिलहाल विपक्ष के सामने निशाना राहुल गांधी न होकर केवल नरेंद्र मोदी ही हैं। 
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अब विपक्ष को लगने लगा है कि अगर राहुल गांधी का विरोध किया तो मोदी फिर एक बार सत्ता में आ जाएंगे और अगर मोदी एक बार फिर सत्ता में आए तो विपक्ष को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा तथा अगर राहुल-मोदी में से एक चुनना है तो फिर राहुल ही बेहतर विकल्प है। भाजपा के नेताओं ने परसों बड़े उत्साह के साथ कहा था कि कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी का नाम घोषित करते ही गठबंधन टूट जाएगा लेकिन वास्तविकता यह है कि शरद पवार, देवगौड़ा की जनता दल, लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल तथा करुणानिधि की पार्टी ने तो राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार भी कर लिया है। सभी विपक्षी दलों की यह धारणा बन चुकी है कि पहला लक्ष्य है नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करना तथा प्रधानमंत्री कौन होगा इसका निर्णय बाद में कर लिया जाएगा।

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