Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Jan, 2019 08:37 AM
कर्नाटक में हार के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 3 हिन्दी भाषी राज्यों में अपनी सत्ता को बरकरार रखने में भाजपा के विफल रहने के बाद पार्टी का ‘कोर ग्रुप’ बहुत चिंतित है।
नेशनल डेस्कः कर्नाटक में हार के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 3 हिन्दी भाषी राज्यों में अपनी सत्ता को बरकरार रखने में भाजपा के विफल रहने के बाद पार्टी का ‘कोर ग्रुप’ बहुत चिंतित है। मोदी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को निर्देश दिया है कि वह इन राज्यों के पार्टी सांसदों के 20-20 के बैचों में अलग-अलग बातचीत करें। शाह ने उनको पार्टी की हार के कारण नहीं बताए। भाजपा अध्यक्ष ने सांसदों को केवल निर्देश दिया कि उन्हें अब मैदान में उतरना चाहिए और वह मोदी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार कर पार्टी की जीत के लिए काम करें।
शाह ने उनसे कहा कि वह पार्टी को बहुमूल्य सुझाव दें कि स्थिति में सुधार करने के लिए अगले 2 महीनों के दौरान पार्टी को क्या करना चाहिए। उत्तर प्रदेश के सांसदों ने शाह को बताया कि मुख्यमंत्री योगी को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि वह राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार करें। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा नेतृत्व को राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में नेतृत्व के पर कतरने चाहिएं जहां वर्कर चाहते हैं कि नेताओं को बदला जाए।
सांसद यह भी चाहते हैं कि सरकार को भाजपा के परम्परागत वोट बैंक के बारे भी सोचना चाहिए जो आरक्षण के युग में खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं। वह चाहते हैं कि आयकर स्लैब 2.50 लाख से बढ़ाकर 4 लाख रुपए की जाए। सांसद यह भी चाहते हैं कि छोटे और सीमांत किसानों के बैंक खातों में धनराशि सीधी स्थानांतरित की जाए। जी.एस.टी. की एम.एस.एम.ई. सैक्टर की सीमा 50 लाख रुपए की जाए। यह भी प्रस्ताव दिया गया है कि भूमिहीन श्रमिकों और बी.पी.एल. श्रेणी में आने वाले लोगों के बारे भी सरकार कुछ कदम उठाए। मोदी अब माहौल अपने पक्ष में करने पर तुले हुए हैं जिसकी शुरूआत सवर्ण जातियों में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण बिल से की गई है।