Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Aug, 2017 02:17 PM
भारत अगर यह सोच रहा है कि डोकलाम में चल रहे सीमा विवाद को लेकर भड़काने के बावजूद चीन कोई प्रतिक्रिया नहीं करेगा तो
पेइचिंगः डोकलाम विवाद पर चीन के तेवर ठीक नजर नहीं आ रहे। वह बार-बार भारत के खिलाफ जहर उगल कर उसे उकसाने की कोशिश कर रहा है। आए दिन चीन का सरकारी मीडिया भड़काऊ सम्पादकीय प्रकाशित कर आग में घी का काम कर रहा है। चीन के एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित स्तंभ में छपा है कि भारत अगर यह सोच रहा है कि डोकलाम में चल रहे सीमा विवाद को लेकर भड़काने के बावजूद चीन कोई प्रतिक्रिया नहीं करेगा तो वह 1962 की तरह एक बार फिर भ्रम में है।
सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है कि अगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'चीन की धमकियों' को नजरअंदाज करते रहे तो चीन की ओर से सैन्य कार्रवाई की संभावना को टाला नहीं जा सकता जो भारत के लिए बर्बादी का कारण बन सकती है। ग्लोबल टाइम्स का यह संपादकीय भारत से आई उस खबर के जवाब में है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों को विश्वास है कि चीन, भारत के साथ युद्ध का जोखिम नहीं लेगा। ग्लोबल टाइम्स इससे पहले भी 1962 के युद्ध का उदाहरण पेश कर चुका है।
संपादकीय में कहा गया है, 'भारत ने 1962 में भी भारत और चीन सीमा पर लगातार भड़काने का काम किया था। उस समय जवाहरलाल नेहरू की सरकार को पूरा भरोसा था कि चीन दोबारा हमला नहीं करेगा। हालांकि नेहरू सरकार ने घरेलू और कूटनीतिक स्तर पर जूझ रही चीन सरकार की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर दृढ़ता को कमतर करके आंका था।'