नज़रिया : मोदी के भाषण ने खत्म कर दिया कश्मीर विवाद

Edited By vasudha,Updated: 09 Aug, 2019 12:02 PM

modi speech ended kashmir dispute

अनुच्छेद 370 पर राष्ट्र के नाम सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी ही  सहजता से कश्मीर के मसले पर दशकों से चले आ रहे विवाद को विराम लगा दिया है। मोदी ने  इस साफगोई से यह काम किया कि वैश्विक समुदाय अब चाहकर भी कुछ नहीं बोलपाएगा...

नेशन डेस्क (संजीव शर्मा): अनुच्छेद 370 पर राष्ट्र के नाम सम्बोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी ही  सहजता से कश्मीर के मसले पर दशकों से चले आ रहे विवाद को विराम लगा दिया है। मोदी ने  इस साफगोई से यह काम किया कि वैश्विक समुदाय अब चाहकर भी कुछ नहीं बोलपाएगा। भाषण के शुरू में पाकिस्तान को उन्होंने चिकोटी जरूर काटी लेकिन पूरे भाषण में अन्यत्र पाकिस्तान या इमरान खान का जिक्र न करके उन्होंने जिस तरह से पाकिस्तान को इग्नोर किया है वह उनकी और उनकी टीम की दूरदर्शिता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चालीस मिनट के भाषण में पाकिस्तान का जिक्र महज चार सेकंड का था जिसमे उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अनुच्छेद 370 को मुद्दा बना विवाद खड़ा करने की कोशिश करता रहा है। हालांकि उन्होंने विपक्ष को जरूर कुछ तीखी सलाहें दीं। वास्तव में नरेंद्र मोदी के भाषण को हम सीधे सीधे दो हिस्सों में बांटकर देख सकते हैं। 

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विदेश नीति से कश्मीर को निकाल गृह नीति में डाला 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर पूरे वैश्विक समुदाय की नज़र थी। खासकर चीन अमरीका और पाकिस्तान की।  लेकिन उन्होंने एक चतुर सुजान की भांति  कश्मीर को विशुद्ध रूप से  भारत का आंतरिक मसला  सिद्ध कर दिया। अब आगे से कोई भी राष्ट्र इस मसले पर बात करने की हिम्मत नहीं करेगा और न ही ऐसा करना चाहिए।  उन्होंने साफ़ संकेत दिया की यह भारत का आंतरिक मसला है की वे किस तरह से अपने राज्यों की सरंचना और शासन रेग्युलेट करता है। यानी जो कश्मीर कल तक भारत की विदेश नीति की प्लानिंग का आधा हिस्सा  खा जाता था वो सीधे अब गृहनीति का हिस्सा बन गया है और अब भविष्य में भारत  को यह चिंता नहीं करनी होगी कि कहीं कोई कश्मीर राग छेड़ेगा। हाँ पाकिस्तान की हालत जरूर-- काटो तो लहू नहीं --सरीखी हो गयी है।  कश्मीर पर नेशनल असेम्ब्ली का आपात इजलास बुलाकर इमरान खान ने जो हौव्वा खड़ा करना चाहा वो रेत के महल की मानिंद ढह गया। शायद ही इमरान खान इस बेइज्जती को झेल पाएंगे कि मोदी ने अपने भाषण में उनका जिक्र तक नहीं किया। कई दिन उनकी रातें बेचैनी से गुज़रेंगी। 

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कश्मीर के लिए फुल डेवलपमेंट प्लान 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अप्रत्याशित रूप से कश्मीर के लिए एक बहुत वृहद् विकास प्लान लेकरप्रस्तुत हुए।  उन्होंने कश्मीर के हर वर्ग के लिए विकास की रूपरेखा को एक एक करके रेखांकित किया। अपेक्षा यह की जा रही थी कि  उनके लहजे में थोड़ी सख्ती होगी और वे संभावित गड़बड़ी के मद्देनज़र कोई सख्त सन्देश देंगे लेकिन इसके विपरीत उन्होंने ईद पर सुखद माहौल में घर लौटने और उज्ज्वल भविष्य की ईदी पेश की। उन्होंने कश्मीरियों को  यह मसहूस कराने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी कि वे हिंदुस्तान का अभिन्न हिस्सा हैं और हिंदुस्तान की हकूमत उनके लिए औरों के बराबर नहीं बल्कि औरों से ज्यादा चिंता रखती है। मोदी ने केंद्र शासित प्रदेश बनने से कश्मीर  के कर्मचारी वर्ग के मन में चल रही आशंकाओं को समाप्त करते हुए उन्हें उसी तर्ज़ पर  इंसेंटिव देने की बात कही। युवाओं के लिए खली नौकरियों को तुरंत प्रभाव से भरनेका वादा किया। शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य  में आधारभूत ढाँचे को सुधारने का दम भरा ताकि विकास तेज़ी से हर गांव तक पहुंचे।
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नए शिक्षण संसथान, खेल अकादमियां खोलने का ऐलान किया ताकि युवाओं की ऊर्जा को सही दिशा दी जा सके। उन्होंने लोगों को साफ़ कहा कि कश्मीर में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होंगे और लोगों की अपनी सरकार आएगी। मोदी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे आगे आएं और  अपनी सरकार खुद संभालें। यानी मोदी ने आम जनता को सियासत में सहबाहगीता का सीधा निमंत्रण दिया है। अब तक कश्मीर की सियासत महज कुछ कबीलों तक सीमित थी। महिलाओं से उन्होंने पंचायत स्तर की भागीदारी से ऊपर उठकर और दो कदम बढ़ने को कहा। बेटियों के लिए शिक्षा के नए अवसर सृजित करने कावादाकिया। कृषकों के लिए फिर से केसर की महक, सेब का रस लौटाने की बात कही। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि लद्दाख और जम्मू-कश्मीर  दुनिया का सबसे  बेहतर पर्यटन स्थल बन सकता है और इस क्षेत्र में सरकार  जोर लगाकर काम करेगी  जिससे रोजगार सृजन होगा।  उन्होंने सिने जगत से आग्रह किया कि वे अब कश्मीर में फिल्मों की शूटिंग करने पर विचार करें ताकि कश्मीर  फिर से रुपहले परदे की शान बन सके। कुल मिलाकर उन्होंने एक समग्र विकास का प्लान अपने सम्बोधन में रखा जिसमे हर वर्ग, हर कश्मीरी के लिए कुछ न कुछ है जो आज तक  गायब था, जिसके अभाव में कश्मीरी त्रस्त थे और  यह सब जब देश का प्रधानमंत्री कहे और बिना किसी औपचारिक अवसर  के विशेष सम्बोधन में कहे तो उसपर कश्मीरियों को विश्वास करना होगा। कश्मीर दशकों साजिशों की अँधेरी सुरंग में भटककर संतप्त हुआ है। अब सुरंग के उसपर विकास की लौ लेकर खुद देश का प्रधानमंत्री खड़ा है यह रौशनीऔर फैलनी चाहिए और लगातार फैलनी चाहिए।  

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