हाउडी मोदी कार्यक्रम में पाक के लिए क्या संदेश छिपा है

Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 19 Sep, 2019 06:11 PM

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आज से तीन दिन बाद यानी 22 सितंबर को अमेरिका के टेक्सास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “हाउडी मोदी” कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस पर पूरी दुनिया की निगाह रहेंगी। यह कार्यक्रम ह्यूस्टन स्थित एनआरजी स्टेडियम में टेक्सास इंडिया फोरम द्वारा आयोजित किया...

नेशनल डेस्क (रवि प्रताप सिंह): आज से तीन दिन बाद यानी 22 सितंबर को अमेरिका के टेक्सास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “हाउडी मोदी” कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस पर पूरी दुनिया की निगाह रहेंगी। यह कार्यक्रम ह्यूस्टन स्थित एनआरजी स्टेडियम में टेक्सास इंडिया फोरम द्वारा आयोजित किया जा रहा है। टेक्सास इंडिया फोरम एक गैर लाभकारी संगठन है जो भारत और अमेरिका के संबंधों को बढ़ाने का कार्य करता है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 50 हजार से ज्यादा लोग पंजीकरण करा चुके हैं।

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वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने पहली बार अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित मेडिसन स्कवेर गार्डन में अमेरिकी भारतीय समुदाय को संबोधित किया था। इस दौरान कई अमेरिकी सांसदों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। इस बार खुद अमेरिका के राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। संभवतः इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति शिरकत करेंगे। यह भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत होगी।

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हालांकि इन दोनों नेताओं की मुलाकात के यहां कई मायने हैं। पाकिस्तान इन दिनों जम्मू-कश्मीर मामले का अंतरराष्ट्रीय करण करने में जुटा है। ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप का मोदी के कार्यक्रम में मौजूद होना पाक को स्पष्ट संकेत देगा की अमेरिका भारत के पाले में खड़ा है। यह इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि ट्रंप अपने पिछले कई बयानों में मध्यस्थता की बात कह चुके थे। हालांकि फ्रांस के बियारित्ज में हाल ही में संपन्न हुई G-7 की शिखर वार्ता से इतर हुई मोदी-ट्रंप की मुलाकात में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कश्मीर को द्विपक्षीय मामला माना था और मध्यस्थता की सभी अटकलों पर विराम लगा दिया था।

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वैसे, सवाल उठता है कि मोदी के इस कार्यक्रम से ट्रंप को क्या लाभ? दरअसल, अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। ट्रंप की इसी वोट बैंक पर निगाह है। वह चाहते हैं कि मोदी के प्रभाव में आकर प्रवासी भारतीय उनके पक्ष में वोट करें। हालांकि यह इतना आसान नहीं है क्योंकि 62 फीसद अमेरिकी भारतीय खुद को डेमोक्रेट्स कहते हैं जबकि ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन है। वैसे, ट्रंप अमेरिकी भारतीयों को लुभाने की पूरी कोशिश करेंगे।

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ट्रंप के राष्ट्रपित बनने के बाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर कुछ मसले खड़े हो गए थे। इसलिए दोनों देशों के नेता विवाद के मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। हाल में अमेरिका के 44 सासंदों ने ट्रंप को पत्र लिखकर भारत को फिर से जीएसपी (जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफ्रेरेंस) सूची में शामिल करने का आग्रह किया है। इन सांसदों में 22 डेमोक्रेट्स और 18 रिपब्लिकन के हैं। उनका कहना है कि भारत को सूची से बाहर रखना अमेरिकी हितों को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है। गौरतलब है कि ट्रंप ने अपने व्यापारिक हितों का हवाला देकर भारत को इस साल इस सूची से बाहर कर दिया था।

 

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