Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Nov, 2017 08:40 AM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एन.एच.आर.सी.) का संचालन कर रहे मौजूदा कानून से बहुत निराश हैं। इस कानून के तहत केवल उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ही एन.एच.आर.सी. के चेयरमैन बन सकते हैं। यह कानून उच्चतम न्यायालय...
नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एन.एच.आर.सी.) का संचालन कर रहे मौजूदा कानून से बहुत निराश हैं। इस कानून के तहत केवल उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ही एन.एच.आर.सी. के चेयरमैन बन सकते हैं। यह कानून उच्चतम न्यायालय द्वारा उस समय बनाया गया था जब कांग्रेस सरकार के दौरान कार्यकारिणी कमजोर थी। मोदी ने महसूस किया कि इस कानून से केवल सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों को ही लाभ होता है जो एक सकारात्मक संकेत नहीं। मोदी का विचार है कि कानून को बदलने की जरूरत है और एन.एच.आर.सी. के प्रमुख की नियुक्ति का विस्तार करने की गुंजाइश है। केवल सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ही इसके चेयरमैन क्यों नियुक्त होते हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्त्ता या वयोवृद्ध न्यायविद् इस पद के लिए क्यों नहीं नियुक्त हो सकते, यह बात मोदी ने एक बंद कमरे की बैठक में व्यक्त की। मनमोहन सिंह सरकार के तहत यू.पी.ए. ने भी कानून में संशोधन करने की सोची थी मगर वह ऐसा करने का साहस नहीं जुटा पाई लेकिन मोदी का अब दृढ़ विश्वास है कि मुख्य न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद आरक्षित इस पद पर एकाधिकार को खत्म किया जाए और इसमें बदलाव किया जाए। एन.एच.आर.सी. के मौजूदा चेयरमैन जस्टिस एच.एल. दत्तू के सेवानिवृत्त होने के बाद इस संबंध में फैसला किया जाएगा।