मोदी को 4 राज्यों के चुनावों की चिंता, कम हुए तेल के दाम

Edited By vasudha,Updated: 04 Oct, 2018 07:03 PM

modi worries about 4 states elections

लगातार पेट्रोल-डीजल की बढती कीमतों के बीच मोदी सरकार ने जनता को बडी राहत दी है। वित्त मंत्री अरूण जेतली ने आज पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2.50 रुपए प्रति लीटर की कटौती करने का ऐलान किया है...

नेशनल डेस्क: लगातार पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच मोदी सरकार ने जनता को बडी राहत दी है। वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में डेढ़ रुपये प्रति लीटर की कटौती करने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में होने वाले चुनावों को देखते हुए मोदी सरकार ने यह फैसला लिया है। दरअसल सरकार नहीं चाहती कि पेट्रोल-डीजल के बढते दाम चुनावी मुद्दा बने जिसे रोकने के लिए एक्साइज ड्यूटी में कटौती की गई। 
PunjabKesari17 राज्यों में भाजपा की सरकार
वित्त मंत्री ने राज्य सरकारों से भी कीमत घटाने का अनुरोध किया- यदि राज्य भी इतनी ही कटौती करें, तो दामों में पांच रुपये प्रति लीटर की कमी आएगी। वहीं जेतली के ऐलान के बाद महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड, असम, हिमाचल, हरियाणा, मध्यप्रदेश, यूपी, झारखंड, छत्तीसगढ़ और त्रिपुरा ने अपनी तरफ से 2.50 रुपये प्रति लीटर की कटौती का ऐलान किया है। 17 राज्यों में भाजपा की ही सरकार है जिनमें से राजस्थान सरकार ने पहले ही पेट्रोल-डीजल पर वैट 4 प्रतिशत घटा दिया था। वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू भी पेट्रोल-डीजल के दाम में दो रुपये की कटौती का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा के लिए यह राह थोड़ी आसान हो सकती है।

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राज्यों सरकारों के लिए क्या है मुश्किलें?
दरअसल, पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला कर केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसमें कटौती करने से उनकी राजकोषीय स्थिति खराब हो जाएगी। अधिकांश राज्य जो पेट्रोल और डीजल पर उच्चतम कर लगाते हैं, उनका सकल राजकोषीय घाटा अधिक है। उदाहरण के लिए असम में 12.7 फीसद राजकोषीय घाटा है और वहां पेट्रोल पर 32.66 फीसद वैट या 14 रुपए प्रति लीटर में से जो भी अधिक हो, वह कर के रूप में लगाया जाता है। वहीं, डीजल पर 23.66 फीसद वैट या 8.75 रुपए प्रति लीटर में से जो भी अधिक हो वह कर वसूला जाता है।

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गुजरात चुनाव के दौरान भी हुई थी कटौती 
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में गुजरात चुनाव के समय भी तेल कंपनियों ने आश्चर्यजनक तरीके से पहले पखवाड़े में प्रतिदिन पेट्रोल- डीजल की कीमतों में 1-3 पैसे प्रति लीटर की कटौती की थी। चुनाव के समाप्त होते ही कंपनियों ने तत्काल दाम बढ़ाना शुरू कर दिया था। इससे कयास उठने लगे हैं कि सरकार ने चुनाव के मद्देनजर कंपनियों को दाम नहीं बढ़ाने के लिए कहा।

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सरकार पर बढ़ रहा था दबाव 
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार लंबे समय से ईंधन की कीमतों पर एक्साइज ड्यूटी कम करने पर विचार कर रही थी। इसी बीच कांग्रेस के भारत बंद के दौरान भी कई राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर तेल की कीमत में कमी करके केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया था। आंध्र प्रदेश और राजस्थान के बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने भी पेट्रोल-डीजल की कीमत में एक रुपए की कटौती की थी। पिछले चुनावों को देखते हुए यह बात सामने आई है कि किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले तेल के दाम आसमान पर होते हैं लेकिन चुनाव की तारीखों के पास आते ही एक्साइज ड्यूटी में कटौती हो जाती है या फिर हर रोज बेतहाशा बढऩे वाले तेल के दाम कछुए की चाल चलने लगता है।

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