Edited By shukdev,Updated: 10 Sep, 2019 07:59 PM
एक नई किताब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नजरिए से भारत के भविष्य, विभिन्न धर्मों के बीच तालमेल, जाति की राजनीति और एलजीबीटीक्यू के अधिकारों जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। रूपा पब्लिकेशन्स ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। किताब का विमोचन...
नई दिल्ली: एक नई किताब में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नजरिए से भारत के भविष्य, विभिन्न धर्मों के बीच तालमेल, जाति की राजनीति और एलजीबीटीक्यू के अधिकारों जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। रूपा पब्लिकेशन्स ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। किताब का विमोचन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा 1 अक्टूबर को आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में किया जाएगा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राष्ट्रीय संगठन सचिव सुनील आंबेडकर द्वारा लिखी गई किताब ‘दि आरएसएस: रोडमैप्स फॉर दि ट्वेंटी फर्स्ट सेंच्युरी' में इस दक्षिणपंथी संगठन की कार्यपद्धति, पहुंच और भविष्य के लिए दृष्टि के बारे में बताया गया है।
प्रकाशक द्वारा जारी एक बयान में कहा गया,“स्वयंसेवकों के सरकार के शीर्ष पदों पर पहुंचने के चलते आरएसएस की कार्यपद्धति को लेकर उत्सुकता बहुत अधिक बढ़ी है और हिंदू राष्ट्र तथा एकात्मता को लेकर संघ के मूल विचार हमारे सामाजिक और राजनीति विमर्श के मुख्य विषय बन गए हैं।” किताब में भारत को लेकर आरएसएस के विचार, और अगर भारत हिंदू राष्ट्र बनता है तो देश में इस्लाम अन्य धर्मों का स्थान, इतिहास लेखन के लिए आरएसएस की परियोजनाएं और परिवार के स्वरूप को बदलने वाले सामाजिक मुद्दों का विश्लेषण किया गया है। इसमें कहा गया है कि आंबेडकर ने भी संघ की आंतरिक कार्य पद्धति, इसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया और समन्वय प्रणाली का उल्लेख किया है।