साल 2018 का मानसून: कहीं जमकर बरसे बादल, तो कहीं नहीं बहुत कम हुई बारिश

Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Nov, 2018 12:14 PM

monsoon of year 2018

इस साल अक्तूबर में ही खराब हवा ने दिल्लीवासियों के लिए बड़ी मुसीबत कर दी और यह सिलसिला नवंबर में भी जारी है। दिल्ली में जहां खराब हवा के लिए एक कारण पराली जलाने को माना जा रहा है

नई दिल्ली: इस साल अक्तूबर में ही खराब हवा ने दिल्लीवासियों के लिए बड़ी मुसीबत कर दी और यह सिलसिला नवंबर में भी जारी है। दिल्ली में जहां खराब हवा के लिए एक कारण पराली जलाने को माना जा रहा है तो वहीं इसका दूसरा कारण इस साल मानसून में बादलों का ज्यादा न बरसना भी है। अक्तूबर महीने में उम्मीद के हिसाब से बारिश नहीं हुई जिस वजह से हवा में नमी नहीं रही और प्रदूषण बढ़ गया। दक्षिण पश्चिम मानसून की समग्र रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में बारिश की सौगात देने वाले दक्षिण पश्चिम मानसून को इस साल बादलों के विक्षोभ की बाधाओं का जमकर सामना करना पड़ा। इसकी वजह से मानसून में बिखराव बारिश के असमान वितरण के रूप में देखने को मिला। विक्षोभ की बाधाओं के कारण बारिश न केवल छोटे छोटे इलाकों में सिमट कर रह गई बल्कि मौसम के बदलते मिजाज का गवाह बने इस मानसून में बाढ़, भूस्खलन, चक्रवाती तूफान और धूल भरी आंधियों की घटनाओं की भी अधिकता रही। वहीं मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जहां कई शहरों में बादल जमकर बरसे तो कहीं बहुत कम बारिश हुई।

इस साल के मानसून पर एक नजर

  • जून से सितंबर के बीच दक्षिण पश्चिम मानसून पर जारी रिपोर्ट के अनुसार इस साल मानसून के दौरान भारत के ऊपर दस बार हवा के कम दबाव का क्षेत्र बना। इनमें से एक क्षेत्र में कम दबाव की अधिकता के कारण चक्रवाती तूफान की स्थिति भी उत्पन्न हुयी। इसका केन्द्र उड़ीसा में रहा।      
  • मानसून के दौरान जून में बंगाल की खाड़ी में हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने की एक घटना से शुरुआत होकर यह संख्या जुलाई में तीन और अगस्त में चार तक पहुंच गई। 
  • मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मानसून की बेहतरी के लिहाज से हवा के कम दबाव के क्षेत्र की अधिकता बारिश के लिए अनुकूल स्थिति मानी जाती है लेकिन पिछले कुछ सालों में इसकी अधिकता के बावजूद बारिश में कमी दर्ज की गई है।      
  • मौसम विभाग ने साल 2018 को भी इस श्रेणी में रखते हुए कहा कि पूरे मानसून के दौरान हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने की दस घटनाओं के बावजूद बारिश की मात्रा सामान्य से नौ प्रतिशत कम दर्ज की गई। 
  • इस साल मानसून के दौरान यह भी देखने को मिला कि मौसम संबंधी विक्षोभ की मौजूदगी जिन इलाकों में ज्यादा रही उनमें मानसून का असमान वितरण और बारिश का बिखराव भी उतना ही अधिक दर्ज किया। इसके परिणामस्वरूप एक क्षेत्र में मूसलाधार बारिश होने के साथ पड़ोसी क्षेत्र में बिल्कुल भी बारिश नहीं होने की प्रवृत्ति भी इस मानसून में देखने को मिली।
  • मानसून के असमान वितरण वाले क्षेत्रों में पूर्वोत्तर के राज्य अरूणाचल प्रदेश, असम, मेघालय भी शामिल हैं, जो बारिश की अधिकता के लिए जाने जाते रहे हैं लेकिन इस साल इन राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई। 
  • कम बारिश वाले क्षेत्रों में शामिल पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, सौराष्ट्र, कच्छ, गुजरात मराठवाड़ा, रायलसीमा, उत्तर भीतरी कर्नाटक, और पश्चिमी राजस्थान में भी मानसून का असमान वितरण दर्ज किया गया।
  • मौसम के लिहाज से 36 क्षेत्रों में बंटे देश के 23 क्षेत्रों में (देश के कुल क्षेत्रफल का 68 प्रतिशत) सामान्य बारिश दर्ज की गई। 
  • दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान सिर्फ एक क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। इस क्षेत्र में केरल और पुदुचेरी सहित देश का एक प्रतिशत क्षेत्रफल शामिल है।
  • इसके अलावा 12 क्षेत्रों में (देश के कुल क्षेत्रफल का 31 प्रतिशत) सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई।     

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!