Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Jul, 2021 04:47 PM
पेगासस जासूसी मामला, तीन केंद्रीय कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को लोकसभा और राज्यसा की कार्रवाई तीन बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई, हालांकि इससे पहले सरकार ने सदन में...
नेशनल डेस्क: पेगासस जासूसी मामला, तीन केंद्रीय कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण सोमवार को लोकसभा और राज्यसा की कार्रवाई तीन बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई, हालांकि इससे पहले सरकार ने सदन में शोर-शराबे के बीच दो विधेयक भी पारित कराए।
लोकसभा
मानसून सत्र के पहले हफ्ते में भी इन मुद्दों को लेकर लोकसभी की कार्रवाई बाधित रही। सोमवार को सदन की कार्रवाई तीन बार के स्थगन के बाद दोपहर 3 बजे शुरू हुई तो विपक्षी दलों के सदस्यों का हंगामा जारी रहा। पीठासीन सभापति रमा देवी ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और चर्चा में भाग लेने की अपील की। इसके बाद भी हंगामा नहीं थमा। सदन में विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ‘फेक्टर विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020' और ‘राष्ट्रीय खाद्य उद्यमिता और प्रबंध संस्थान विधेयक, 2021' पारित किये गए। दोनों विधेयकों को पारित करने के दौरान विपक्षी सदस्यों ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी' के नारे लगाए। इससे पहले, हंगामे के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया और मसूर दाल पर आयात शुल्क घटाकर शून्य करने तथा मसूर की दाल पर कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर को भी आधा कर 10 प्रतिशत करने संबंधी अधिसूचना को पेश किया।
राज्यसभा
विपक्षी दलों के सदस्यों ने पेगासस जासूसी मामले और कृषि कानूनों को लेकर सोमवार को राज्यसभा में भारी शोरशराबा किया जिसके कारण सदन की कार्रवाई दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। इससे पहले भी विपक्ष के हंगामे के कारण कार्यवाही पहले 12:00 बजे तक, 2:00 बजे तक, 3 बजे तक और फिर 5 बजे तक स्थगित की गई। विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण मानसून सत्र में अब तक एक दिन भी शून्यकाल और प्रश्नकाल की कार्रवाई नहीं हो सकी है। चार बार के स्थगन के बाद चार बजे सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए पीठासीन अधिकारी डा.सस्मित पात्रा ने ‘नौचालन के लिए सामुद्रिक सहायता विधेयक 2021' पर चर्चा फिर से शुरू कराने का प्रयास किया तो कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के सदस्य सभापति के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे।