Edited By vasudha,Updated: 10 Jun, 2020 10:58 AM
इस वर्ष संसद का मानसून सत्र आयोजित किया जा सकता है जिसमें सांसदों को रोटेशन से आने के लिए कहा जा सकता है। इसके पीछे एक ही कारण है वह है सोशल डिस्टैंसिंग के मानकों को बनाए रखना जोकि आज के कोरोना युग में जरूरी है। इस रोटेशन प्रणाली संबंधी उपराष्ट्रपति...
नेशनल डेस्क: इस वर्ष संसद का मानसून सत्र आयोजित किया जा सकता है जिसमें सांसदों को रोटेशन से आने के लिए कहा जा सकता है। इसके पीछे एक ही कारण है वह है सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों को बनाए रखना जोकि आज के कोरोना युग में जरूरी है। इस रोटेशन प्रणाली संबंधी उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क कर रहे हैं।
नया प्रस्ताव पहले के 2 प्रस्तावों के बाद का है, पहले प्रस्ताव में लोकसभा सत्र सैंट्रल हॉल में और राज्यसभा सत्र लोकसभा चैम्बर्स में रखने की बात की गई थी। दूसरे प्रस्ताव में लोकसभा सत्र विज्ञान भवन और राज्यसभा सत्र लोकसभा चैम्बर्स में करने की बात कही गई थी। राज्यसभा में शिवसेना के नेता संजय राऊत ने बताया कि नायडू ने उनसे पिछले हफ्ते इस विषय में बात की थी। उन्होंने कहा कि हमें इस पद्धति को लेकर कोई भी आपत्ति नहीं है।
इसी तर्ज पर लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला ने भी पार्टियों से बातचीत शुरू कर दी है। लोकसभा में 54 सदस्यीय कांग्रेस के संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि माननीय अध्यक्ष महोदय के साथ इस विषय पर बातचीत हुई है। हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि सांसदों के एक दिन छोड़कर या फिर तीन दिन में एक बार संसद में मौजूद रहने पर विचार हो रहा है। यानी एक तिहाई सांसद एक खास दिन आएंगे और बाकी के अगले दो दिन। उन्होंने कहा यह आदर्श स्थिति तो नहीं कही जा सकती, लेकिन बाध्यताओं को देखते हुए कोई और विकल्प नहीं है। सत्र संक्षिप्त होगा।
यह संसद सत्र हर छह माह में सत्र के आयोजन की संवैधानिक जरूरत को पूरा करने के लिए होगा। पिछला सत्र 23 मार्च को हुआ था और अगला सत्र 23 सितम्बर के पहले होना जरूरी है। वहीं दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारी संसद के आभासी सत्र या हाइब्रिड सत्र आयोजित करने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं। हाइब्रिड सत्र के तहत कुछ सांसद तो संसद में स्वयं उपस्थित रहते हैं जबकि शेष सांसद आभासी माध्यम से हिस्सा लेते हैं।