Edited By vasudha,Updated: 18 Sep, 2019 11:41 AM
आपने अक्सर सुना होगा कि कम सोना सेहत के लिए हानिकारक है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अधिक सोना भी सेहत के लिए उतना ही हानिकारक है। न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक सेहत पर भी हमें ज्यादा सोने के नुक्सान झेलने पड़ते हैं....
नई दिल्ली: आपने अक्सर सुना होगा कि कम सोना सेहत के लिए हानिकारक है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अधिक सोना भी सेहत के लिए उतना ही हानिकारक है। न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक सेहत पर भी हमें ज्यादा सोने के नुक्सान झेलने पड़ते हैं। अगर आप रोज 7-8 घंटे से ज्यादा सोते हैं तो आपको कई तरह की समस्याओं और बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुई एक स्टडी में सामने आया कि जो लोग हर रोज 9-10 घंटे सोते हैं उन्हें भी नींद से जुड़ी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। साथ ही जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं उन्हें भी कई हैल्थ प्रॉब्लम्स के साथ सुबह तरोताजा होकर न उठ पाने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
72 हजार महिलाओं पर किया अध्ययन
13 वर्ष पुराने एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि जो लोग बहुत अधिक सोते हैं उनमें कम उम्र में मौत का खतरा बढ़ जाता है। अगर आपको इस आदत के साथ ही डायबिटीज या हर्ट डिजीज भी है तो यह खतरा और अधिक बढ़ जाता है। स्टडी में सामने आया कि जो महिलाएं हर रोज 9 से 11 घंटे सोती हैं उनमें 8 घंटे सोने वाली महिलाओं की तुलना में कोरोनरी हर्ट डिजीज होने का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है। हालांकि इसका कारण अभी तक सामने नहीं आ पाया है। यह स्टडी 72 हजार महिलाओं पर की गई।
मोटापे की संभावना 21 प्रतिशत अधिक
तय समय से अधिक सोने वाले लोगों में सिरदर्द की शिकायत अक्सर बनी रहती है। ऐसा ब्रेन के न्यूरोट्रांसमीटर के प्रभावित होने से होता है। जो लोग दिन में अधिक सोते हैं उनमें यह समस्या रात में सोने वाले लोगों की तुलना में अधिक होती है। एक अध्ययन में पता चला कि जो लोग हर दिन 9-10 घंटे या इससे भी अधिक सोते हैं उनमें आदत के लगातार 6 साल तक बने रहने पर मोटापे से ग्रसित होने की संभावना 21 प्रतिशत तक अधिक होती है।
टाइप-2 डायबिटीज का खतरा
द अमेरिकन डायबिटीज में पब्लिश हुई स्टडी में कहा गया कि जो लोग अधिक समय तक सोते रहना चाहते हैं, ऐसे लोगों में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बहुत अधिक होता है। हालांकि अनिद्रा की शिकायत आमतौर पर अवसाद से संबंधित होती है। डिप्रैशन से पीड़ित लगभग 15 प्रतिशत लोग बहुत अधिक सोते हैं। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो पेशैंट को रिकवरी में दिक्कत आती है।