कश्मीर में 2018 के 7 महीनों में 128 युवा बने आतंकी, सबसे ज्यादा दक्षिण कश्मीर के लडक़े शामिल

Edited By Monika Jamwal,Updated: 11 Aug, 2018 11:48 AM

more youth joined militancy in 2018

कश्मीर घाटी में इस साल पहले सात महीनों के दौरान स्थानीय युवाओं द्वारा आतंकी रैंकों में शामिल होने का आंकड़ा 2017 के आंकड़ों को पार कर चुका है जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए अलार्म की घंटी के रुप में सामने आ गया है।

श्रीनगर : कश्मीर घाटी में इस साल पहले सात महीनों के दौरान स्थानीय युवाओं द्वारा आतंकी रैंकों में शामिल होने का आंकड़ा 2017 के आंकड़ों को पार कर चुका है जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए अलार्म की घंटी के रुप में सामने आ गया है। पुलिस आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अभी तक 128 युवा आतंकी रैंकों में शामिल हो गए हैं। पिछले साल 126 युवाओं ने बंदूक उठाई थी जो 2010 से सबसे ज्यादा संख्या थी।  PunjabKesari

जहां सुरक्षाबलों द्वारा स्थानीय आतंकियों को वापस लाने की कोशिश की जा रही है वहीं जमीन पर इसका कम असर दिख रहा है। आतंकी रैंकों में शामिल होने वाले युवाओं की सबसे ज्यादा संख्या लगभग 90 प्रतिशत अस्थिर दक्षिण कश्मीर के चार जिलों पुलवामा, शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग से हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि लगभग दो दर्जन नए आतंकी जिनमें से ज्यादातर को हथियार प्रशिक्षण नहीं है को विभिन्न अभियानों के दौरान मार गिराया गया है। 


जम्मू कश्मीर पुलिस की दो विंगो, खुफिया और जोनल पुलिस अलग अलग तरीके से आतंकी संबंधित आंकड़ों को गिन रही है। एक बार जब कोई युवा गायब हो जाता है तो परिवार पुलिस से संपर्क करता है या उसकी तस्वीर बंदूक के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है। पुलिस उसके बाद युवक को आतंकी के रुप में सूचीबद्ध करने से पहले जांच करती है। शोपियां और पुलवामा के दो जिलों में लगभग 70 नई भर्तियां हो रही हैं।

 सबसे ज्यादा आतंकी दक्षिण कश्मीर से
दक्षिण कश्मीर में आतंकी भर्ती में बढ़ोतरी गत 1 अप्रैल को हुई दो मुठभेड़ों में मारे गए 13 आतंकियों, जिनमें हिजबुल का शीर्ष कमांडर सद्दाम पड्डार और प्रोफेसर से आतंकी बने मोहम्मद रफी भी शामिल है, के बाद देखी गई है। इस साल सुरक्षाबलों ने कश्मीर के विभिन्न इलाकों और नियंत्रण रेखा के पास कई आतंकियों को मार गिराया है। 
अधिकारी ने कहा कि हमने इस साल कई सफल अभियानों को अंजाम दिया है लेकिन युवक लगातर आतंकी रैंकों में शामिल हो रहे हैं जो चिंताजनक है। 

PunjabKesariबुरहान के मरने के बाद हुई है बढोत्तरी
स्थानीय युवाओं द्वारा आतंकी रैंकों में शामिल होने की प्रवृत्ति 2016 में हिजबुल के शीर्ष कमांडर बुरहान वानी को मार गिराने के बाद शुरु हो गई है। इन युवाओं में से ज्यादातर हिजबुल मुझाहिदीन में शामिल हुए हैं। इसके बाद लश्कर-ए-तोयबा में कम से कम 25 नए आतंकी बन गए हैं। वहीं, अल बदर आतंकी संगठन में कम से कम 9 युवक शामिल हो गए हैं जो पहले निष्क्रिय था।

PunjabKesari अप्रैल में हुई सबसे ज्यादा भर्ती 
इस साल आतंकी संगठन में सबसे ज्यादा भर्तियां अप्रैल महीने में हुआ। इस महीने 25 से ज्यादा युवाओं ने आतंकियों का साथ चुना। सूत्रों के मुताबिक किसी भी आतंकी के अंतिम संस्कार के वक्त भीड़ जमा होने और आतंकियों की तरफ  से भडक़ाऊ भाषण के बाद ज्यादातर युवा बहकावे में आ जाते हैं और आतंक की राह चुनते हैं। अप्रैल की शुरुआत में 13 आंतकी मारे गए और उनके अंतिम संस्कार के बाद इस महीने ज्यादा युवाओं ने आंतकियों का साथ चुना। मई के महीने में 10.12 युवा आतंकियों के साथ गए और जून में 20 से ज्यादा। 

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परिजनों के जरिए वापस लाने की कोशिश 
सुरक्षा एजेंसी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल आतंकियों से निपटने के लिए दो स्तर पर काम हो रहा है। ऑपरेशन ऑलआउट के तहत आतंकियों का सफाया किया जा रहा है साथ ही बहकावे में आकर आतंक की राह पर गए युवाओं को वापस लाने की कोशिश हो रही है। सुरक्षा एजेंसी आतंकी संगठनों के साथ गए युवाओं को उनके पैरंट्स के जरिए उन्हें समझाने और वापस लाने की कोशिश कर रही है।  सूत्रों के मुताबिक इस कोशिश में कई युवाओं ने आतंक की राह से तौबा की है और वापस मेन स्ट्रीम में आए हैं। ऐसे युवाओं की पहचान भी गुप्त रखी जाती है ताकि वह सुरक्षित रहें। ऑपरेशन के वक्त भी लोकल आतंकियों को यह मौका दिया जाता है कि वह आतंक की राह छोड़ दें। 
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