Edited By Yaspal,Updated: 15 Mar, 2021 07:54 PM
भारतीय अंतरिक्षण अनुसंधान संगठन (इसरो) अब केवल भविष्य की नई खोजों पर ही ध्यान देगा और अंतरिक्ष से जुड़ी अपनी ज्यादातर गतिविधियों को उद्योगों के हवाले कर देगा। इसरों के चेयरमैन के. शिवन ने यह जानकारी दी है। सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को अब निजी...
नेशनल डेस्कः भारतीय अंतरिक्षण अनुसंधान संगठन (इसरो) अब केवल भविष्य की नई खोजों पर ही ध्यान देगा और अंतरिक्ष से जुड़ी अपनी ज्यादातर गतिविधियों को उद्योगों के हवाले कर देगा। इसरों के चेयरमैन के. शिवन ने यह जानकारी दी है। सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र को अब निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया है।
शिवन अंतरिक्षण विभाग के सचिव भी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले साल जून में इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने को लेकर सुधारों की जो शुरुआत की है उससे उद्योग जगत में काफी उत्साह जगा है। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरिक्ष क्षेत्र की गतिविधियों का भविष्य अब बदल रहा है, अब तक अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियां केवल इसरो तक की ही सीमित थी लेकिन अब इसमें निजी क्षेत्र को भी समान अवसर उपलब्ध करा रहे हैं।''
शिवन एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। इसका आयोजन यूनिवर्सिटी आफ पेट्रोलियम एण्ड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) ने किया। उन्होंने कहा कि इसरो अपनी प्रौद्योगिकी को निजी क्षेत्र के साथ भी साझा करेगा और उन्हें अपनी सुविधाओं के इसतेमाल का अवसर भी उपलब्ध करायेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम उनकी पूरी मदद करेंगे और उन्हें इसरो के स्तर तक लाने का काम करेंगे ताकि इसरो अब तक जो भी औद्योगिक प्रकृति के काम कर रहा है उन सबको उद्योगों के हवाले किया जा सके और हम भविष्य की नई खोज में अपना पूरा ध्यान लगा सकें। इससे भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के अगले स्तर तक ले जाया जा सकेगा।''
शिवन ने कहा, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के लिये किये गये सुधारों के हिस्से के तौर पर निजी क्षेत्र को सभी अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग लेने की सुविधा के लिये ‘भारतीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकार केन्द्र (इन- स्पेस) की स्थापना की घोषणा की गई है। यह एक स्वायत निकाय होगा जो कि अंतरिक्ष विभाग के तहत काम करेगा और अंतरिक्ष गतिविधियों के लिये, इसरो की सुविधाओं का इस्तेमाल करने के मामले में नियमन और निगरानी करने वाली शीर्ष एजेंसी होगी।