बेबसी- मां को मिल सके समय पर दवा-खाना...इसलिए कोरोना संकट में छात्र कर रहा जोखिम भरा काम

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Jun, 2020 02:25 PM

mother could get medicine on time doing risky work in corona crisis

चांद मोहम्मद 12वीं कक्षा के छात्र हैं और भविष्य में मेडिकल में जाना चाहता है लेकिन फिलहाल आर्थिक तंगी, अपने भाई-बहनों के स्कूलों का खर्चा उठाने और मां के इलाज के लिए Covid-19 से मरने वालों लोगों के शवों को अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाने के काम में...

नेशनल डेस्क: चांद मोहम्मद 12वीं कक्षा के छात्र हैं और भविष्य में मेडिकल में जाना चाहता है लेकिन फिलहाल आर्थिक तंगी, अपने भाई-बहनों के स्कूलों का खर्चा उठाने और मां के इलाज के लिए Covid-19 से मरने वालों लोगों के शवों को अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाने के काम में लगा हुआ है। चांद मोहम्मद की मां को थाइरॉइड संबंधी शिकायत है और उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत है लेकिन परिवार के पास इलाज कराने के लिए पैसों की कमी है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर का रहना वाला 20 साल के मोहम्मद ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान कृष्णा नगर मार्केट में कपड़े की दुकान से मेरे भाई की नौकरी चली गई। तब से हम मुश्किल से अपना खर्चा उठा पाते हैं। उनका परिवार किसी तरह पड़ोसियों द्वारा दिए गए खाने या भाई द्वारा छोटी-मोटी नौकरी करके कमाए गए पैसे से चल रहा है। 

 

घर वाले भूखे न रहे इसलिए की ये नौकरी
एक हफ्ते पहले चांद ने एक निजी कंपनी में नौकरी शुरू की जिसने उसे लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल में सफाईकर्मी के काम पर लगा दिया। इस नौकरी में Covid-19 से मरने वाले लोगों के पार्थिव शव के देखरेख का काम भी होता है। वह दोपहर 12 बजे से लेकर रात 8 बजे तक काम करता है। उसने बताया कि काम के सारे विकल्प खत्म हो जाने के बाद अब उसने यह काम शुरू किया है। यह एक खतरनाक काम है क्योंकि इसमें संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। मोहम्मद ने कहा कि हमारे परिवार में तीन बहनें, दो भाई और अभिभावक हैं जो बिना पैसे के संघर्ष कर रहे हैं। अभी हमें भोजन और मां की दवाई के लिए पैसे की सख्त जरूरत है। मोहम्मद ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि घर में एक ही बार का खाना होता है। संभव है कि वायरस से तो फिर भी बच जाएंगे लेकिन हम भूख से नहीं बच सकते हैं?

 

17000 रुपए मिलती है तनख्वाह
मोहम्मद ने कहा कि फिलहाल दुनिया का सबसे खतरनाक काम (covid-19 के मृतकों के शव से जुड़ा काम) प्रति महीना 17,000 रुपए वेतन देता है। वह रोजाना कम से कम दो से तीन शवों को अन्य सफाईकर्मियों के साथ एम्बुलेंस में डालता है और श्मशानघाट पहुंचने पर उसे स्ट्रैचर से उठाकर नीचे रखता है। इस दौरान PPE पहनकार काम करना होता और इतनी गर्मी में यह बेहद मुश्किल है, सांस लेने में भी तकलीफ होती है। मोहम्मद ने बताया कि वह अपने परिवार से भी दूरी बनाकर रखता है।

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