ऑटो में बेसहारा छोड़ गई मां अपना 9 दिन का बच्चा, पुलिस ने चंद घंटों में पता लगाया

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Mar, 2019 02:09 PM

mother left her 9th month baby in auto

हर साल कितने ही बच्चे गुम हो जाते हैं या चुरा लिए जाते हैं। कइयों के तो माता-पिता ही उन्हें बेसहारा सड़कों पर छोड़ जाते हैं और उनमें से कितने ही ऐसे हैं जो कभी अपने माता-पिता से दोबारा नहीं मिल पाते हैं।

नेशनल डेस्कः हर साल कितने ही बच्चे गुम हो जाते हैं या चुरा लिए जाते हैं। कइयों के तो माता-पिता ही उन्हें बेसहारा सड़कों पर छोड़ जाते हैं और उनमें से कितने ही ऐसे हैं जो कभी अपने माता-पिता से दोबारा नहीं मिल पाते हैं। हाल ही में मुम्बई के वर्सोवा में 9 दिन के नवजात बच्चे को उसकी परेशान मां ऑटोरिक्शा में बेसहारा छोड़ गई परंतु वह भाग्यशाली रहा कि पुलिस ने तेजी से काम करते हुए 4 घंटों में ही उसे उसके परिवार से मिलवा दिया। महिला ने कहा कि उसने ऐसा कदम इसलिए उठाया क्योंकि उसका पति उसके चरित्र पर उंगली उठा कर बच्चे को अपना मानने से इन्कार कर रहा था। आखिर वह इतनी परेशान हो गई कि वह अपने बच्चे को खाली पड़े ऑटो में छोड़ आई। सायं 4 बजे के आस-पास पुलिस को एक फोन आया कि वर्सोवा में नाना नानी पार्क के पास एक ऑटोरिक्शा से किसी बच्चे के रोने की आवाज आ रही है।

ए.एस.आई. अविनाश जाधव, सब इंस्पैक्टर गणपत पडवाल, कांस्टेबल सुधा सावंत और कांस्टेबल पदवी की टीम को मौके पर भेजा गया। पुलिस ने नवजात बच्चे को बरामद करके मैडीकल चैकअप के लिए नजदीक स्थित कूपर अस्पताल भेजा। साथ ही उन्होंने इलाके में लगे सी.सी.टी.वी. कैमरों की रिकॉर्डिंग देखनी शुरू कर दी। इस बीच कूपर अस्पताल में, कांस्टेबल सुधा सावंत ने अस्पताल वालों से पिछले 2 सप्ताह में जन्मे बच्चों के बारे में जानकारी ली। सुराग के लिए डिलीवरी रजिस्टर भी क्रॉस-चैक किए गए। रजिस्टर देखते वक्त सुधा को वर्सोवा की शिव लेन की एक महिला का नाम मिला जिसे कुछ दिन पहले ही अस्पताल से छुट्टी मिली थी। उन्हें उस पर शक हुआ और टीम ने उसके घर जाने का फैसला किया। इस बार टीम में सीनियर इंस्पैक्टर रविन्द्र तथा सब इंस्पैक्टर ओम तोतावर भी शामिल थे। अस्पताल के रिकॉर्ड में महिला ने खुद को 25 वर्षीय अंजू देवी दुर्गा कामत बताया था।

झुग्गी बस्ती में पहुंच कर अधिकारियों ने स्थानीय लोगों की मदद ली तो उन्हें पता चला कि दुर्गा कामत की पत्नी ने वास्तव में एक सप्ताह पहले बच्चे को जन्म दिया था। उसके घर पहुंच कर जब पुलिस ने दुर्गा से उसके नवजात बच्चे के बारे में पूछा तो अंजू टूट गई और मान गई कि वही पार्क के पास खड़े एक ऑटो में अपने बच्चे को छोड़ आई थी। उसके पति को उसके चरित्र पर शक था और वह लगातार उसे ताना मार रहा था कि वह बच्चा उसका नहीं है। वह उसे तलाक देने की धमकी भी देने लगा तो उसने बच्चे को कहीं छोड़ आने का फैसला कर लिया। तब पुलिस ने पति-पत्नी को थाने बुला कर उनके बयान दर्ज किए और उनकी वैवाहिक समस्याओं को हल करने के लिए उनकी काऊंसलिंग की गई। बच्चे को सौंपने से पहले उन्हें उनकी इस हरकत के परिणामों से भी अवगत कराया गया।

चूंकि अपने बच्चे का त्याग करना अपराध है, धारा 317 और धारा 34 के तहत एक मामला पति-पत्नी के विरुद्ध वर्सोवा थाने में दर्ज किया गया है। हालांकि, नवजात की उम्र को देखते हुए उन्हें आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए धारा 41 ए के तहत फिलहाल केवल नोटिस भेजा गया है। पुलिस का कहना है कि बाल कल्याण समिति को भी मामले के बारे में सूचित कर दिया गया है और उनकी ओर से रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कोई कार्रवाई की जाएगी।

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