Edited By Yaspal,Updated: 23 Jul, 2019 06:13 PM
लोकसभा ने सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए कठोर नियम,परिवहन क्षेत्र में नयी तकनीकी अपनाने तथा राष्ट्रीय परिवहन नीति को सुविधा के अनुसार लागू करने की सहूलियत देने के प्रावधान वाले मोटर यान संशोधन विधेयक 2019 को मंगलवार...
नई दिल्लीः लोकसभा ने सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए कठोर नियम,परिवहन क्षेत्र में नयी तकनीकी अपनाने तथा राष्ट्रीय परिवहन नीति को सुविधा के अनुसार लागू करने की सहूलियत देने के प्रावधान वाले मोटर यान संशोधन विधेयक 2019 को मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मोटर यान संशोधन विधेयक 2019 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सदन को आश्वासन दिया कि विधेयक के पारित होने से राज्यों के अधिकारों में किसी प्रकार का दखल नहीं होगा और सभी राज्य सरकारें सुविधा के अनुसार राष्ट्रीय परिवहन नीति को लागू कर सकेंगी।
गडकरी ने कहा कि विधेयक के संबंध में सदस्यों ने जो सुझाव दिए हैं उन पर सकारात्मकरूप से विचार किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि विधेयक के माध्यम से राज्यों के अधिकारों को किसी भी प्रकार से कम करने की मंशा नहीं है। राज्यों को अपने हिसाब से परिवहन के मामले में कानून बनाने का अधिकार है। राज्य परिवहन के मामले में केंद्र सरकार कोई दखल नहीं देगी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परिवहन नीति को राज्यों पर थोपा नहीं जायेगा। जो राज्य स्वेच्छा से इसे अपनाना चाहेंगे वह इसे अपना सकेंगे। विधेयक को पिछली लोकसभा में पारित किया गया था, लेकिन राज्यसभा से पारित नहीं हो सकने के कारण नयी लोकसभा में विधेयक दोबारा लाना पड़ा। उन्होंने बताया कि पिछली बार जब यह विधेयक लाया गया था 18 राज्यों के परिवहन मंत्रियों की समिति ने इसकी समीक्षा की थी।
संसद की स्थायी समिति एवं प्रवर समिति के पास भी इसे भेजा गया था। समिति की लगभग सभी सिफारिशों को विधेयक में समाहित किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों के हितों को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीकी से युक्त सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में वाहनों को लाएगी जिसमें लोग कम किराये पर वातानुकूलित वाहनों में यात्रा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि हर साल पाँच लाख सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है।
सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद पिछली सरकार के पाँच साल के कार्यकाल में उनका मंत्रालय देश में सड़क दुर्घटनाओं में मात्र साढ़े तीन से चार प्रतिशत तक की कमी ला सका, जो उनकी विफलता है। सरकार का लक्ष्य इन दुर्घटनाओं में 50 फीसदी तक कटौती लाने का था।