मप्र​ विधानसभा चुनाव: CM पद के दावेदार को लेकर कांग्रेस ने साधी चुप्पी

Edited By vasudha,Updated: 25 Apr, 2018 02:26 PM

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मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। लेकिन कांग्रेस संभवत: आंतरिक खींचतान टालने के लिये इस अहम सवाल को फिलहाल दरकिनार कर रही है कि वह मुख्यमंत्री पद...

नेशनल डेस्क: मध्यप्रदेश में इस साल के आखिर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। लेकिन कांग्रेस संभवत: आंतरिक खींचतान टालने के लिये इस अहम सवाल को फिलहाल दरकिनार कर रही है कि वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में अपने किसी बड़े नेता के नाम की औपचारिक घोषणा करेगी या नहीं।  दिग्गज नेताओं के अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस पिछले डेढ़ दशक से राज्य की सत्ता से बाहर है। वहीं भाजपा काफी पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में लड़ेगी

राहुल गांधी करेंगे अंतिम निर्णय 
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि यह कहां लिखा है कि अगले विधानसभा चुनाव में शिवराज के खिलाफ मुख्यमंत्री पद का दावेदार पेश करना कांग्रेस के लिये अनिवार्य है। वैसे भी राज्य के इतिहास में कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का दावेदार उतारने की परम्परा नहीं रही है। उन्होंने कहा कि अभी सबसे अहम जरूरत इस बात की है कि कांग्रेस के सभी बड़े नेता प्रदेश की जन विरोधी भाजपा सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिये मिलकर संघर्ष करें हालांकि यादव ने कहा कि अगर हमें चुनावी चेहरा घोषित करने की जरूरत पड़ती है, तो अंतिम निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करेंगे।

दावेदारों की दौड़ में कमलनाथ और सिंधिया 
अगले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर माना जाता है कि कांग्रेस के खेमे में राज्य के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की दौड़ में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे है। बहरहाल, कमलनाथ चुनावी चेहरे के मुद्दे को नया मोड़ देते हुए कह चुके हैं कि प्रदेश में केवल एक चुनावी चेहरे से कांग्रेस का काम नहीं चलेगा। हमें कई चुनावी चेहरों की आवश्यकता है। इस बीच, कोई छह महीने में करीब 3,300 किलोमीटर लम्बी नर्मदा परिक्रमा हाल ही में पूरी करने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सियासत में दोबारा सक्रिय हो गये हैं। वह प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के कांग्रेसी दावेदार की जरूरत के सवाल को पीछे धकेलने की कोशिश करते दिखायी देते हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र है जहां चेहरा नहीं, बल्कि पार्टी चुनाव जिताती है।  
 

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