लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले- सांसदों को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले बयान देने से बचना चाहिए

Edited By Yaspal,Updated: 19 Jun, 2022 05:36 PM

mps should refrain from making statements that hurt religious sentiments

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि संविधान के समक्ष सभी धर्म समान हैं। उन्होंने कहा कि सांसदों को किसी भी धर्म के बारे में भड़काऊ बयान देने से बचना चाहिए और हर समय संसद की गरिमा और मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में रविवार...

नई दिल्लीः लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि संविधान के समक्ष सभी धर्म समान हैं। उन्होंने कहा कि सांसदों को किसी भी धर्म के बारे में भड़काऊ बयान देने से बचना चाहिए और हर समय संसद की गरिमा और मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष के रूप में रविवार को तीन साल पूरे करने वाले बिरला ने अब तक की यात्रा को सफल बनाने में योगदान देने के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया और कहा कि यह एक बड़ी उपलब्धि है कि इस अवधि के दौरान सदन की औसत उत्पादकता 100 प्रतिशत से ऊपर रही है। उन्होंने कहा कि सदन में 17वीं लोकसभा में अब तक आठ सत्रों में लगभग एक हजार घंटे कामकाज हुआ है। चर्चा और बहस को ‘‘लोकतंत्र का आभूषण'' बताते हुए बिरला ने ‘पीटीआई-भाषा' से एक साक्षात्कार में कहा कि सांसदों को संसद में बोलते समय अनावश्यक आक्रामकता और शोर-शराबे से बचना चाहिए।

बिरला ने कहा, ‘‘चर्चा, बहस संसदीय लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग हैं। बहस के दौरान एक-दूसरे पर कटाक्ष करना भी स्वीकार्य है। लेकिन संसद में सांसदों को अनावश्यक आक्रामकता और शोर-शराबे से बचना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेताओं द्वारा संसद का इस्तेमाल निराधार आरोप लगाने और जवाबी आरोप लगाने के लिए एक मंच के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। धर्मों को लेकर इन दिनों नेताओं के बीच तीखी बहस के सवाल पर, बिरला ने सुझाव दिया कि संसद सदस्यों को किसी भी धर्म के खिलाफ भड़काऊ बयान देने से बचना चाहिए क्योंकि संविधान के समक्ष सभी धर्म समान हैं।

बिरला ने कहा, ‘‘सांसदों को धार्मिक मुद्दों पर बोलते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके बयान से किसी अन्य धर्म की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। हम सभी को पूरी निष्ठा से इस परंपरा का पालन करना चाहिए। हमारा संविधान सभी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देता है।'' उन्होंने कहा कि संसद संविधान के अनुसार काम करती है। उन्होंने कहा, ‘‘संसद में किसी भी धर्म के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। इसकी गरिमा और मर्यादा को हर समय बनाए रखा जाना चाहिए।''

फेसबुक व्हिसल-ब्लोअर सोफी झांग के आईटी पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष पेश होने की इच्छा जताने के बावजूद यहां के अधिकारियों द्वारा पेश होने के लिए नहीं कहे जाने के बारे में पूछे जाने पर बिरला ने कहा कि संसदीय समिति के सामने किसी को पेश होने के लिए बुलाने के लिए नियम और कानून हैं। बिरला ने कहा, ‘‘यह उचित नहीं है कि कोई कहे कि ‘मुझे समिति द्वारा नहीं बुलाया गया है'। संसदीय समिति के समक्ष किसी को बुलाने की व्यवस्था और प्रक्रियाएं हैं और अंतिम निर्णय लोकसभा अध्यक्ष को लेना होता है।''

नई संसद में होगा शीतकालीन सत्र
सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बन रहे नए संसद भवन के बारे में बात करते हुए बिरला ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस साल का शीतकालीन सत्र नई इमारत में होगा। उन्होंने कहा, ‘‘नए भवन का काम जोरों पर चल रहा है। यह आधुनिक भारत और हमारे समृद्ध इतिहास दोनों की झलक दिखाएगा। यह भारत के सभी राज्यों की संस्कृति को प्रदर्शित करेगा।'' गौरतलब है कि बिरला को 19 जून, 2019 को सर्वसम्मति से लोकसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।

 

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