बैकफुट पर दिल्ली पुलिस: मुखर्जी नगर कांड में वीडियो बनाने वालों की तलाश

Edited By Anil dev,Updated: 22 Jun, 2019 11:25 AM

mukherjee nagar sarabjit video viral police

जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के बोनियार वन क्षेत्र में शनिवार को सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह

नई दिल्ली: मुखर्जी नगर के सरबजीत मामले में फिलहाल दिल्ली पुलिस बैकफुट पर दिख रही है। यही वजह है कि दिल्ली पुलिस का कोई भी अफसर इस मामले में खुलकर कुछ भी बात करने को तैयार नहीं है। लेकिन शुक्रवार से दस्तावेज, वीडियो फुटेज और चश्मदीदों के बयान जुटाने का काम शुरू हो चुका है। पूरे घटनाक्रम की कई-कई मिनट की 7 वीडियो सामने आए थे, जिन्हें बनाने वालों की तलाश क्राइम ब्रांच कर रही है। इसमें सबसे पहले उस व्यक्ति को ढूंढा जा रहा है जिसने अपने मोबाइल फोन से 6 मिनट 55 सेंकेड का वीडियो बनाया था, जिसमें पूरा घटना क्रम कैद है। क्योंकि इनके मोबाइल फोन में वारदात से संबंधित अन्य फुटेज भी हो सकती हैं। क्राइम ब्रांच ने मुखर्जी नगर थाने की तीन सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली है, जिनमें सरबजीत और उनके नाबालिग बेटे से मारपीट होने की बात सामने नहीं आई है। 

जांच के दायरे में रखा गया वायरल वीडियो को
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कोतवाली स्थित क्राइम ब्रांच के दफ्तर में मुखर्जी नगर कांड की फाइल वीरवार शाम पहुंची। सरबजीत सिंह के बयान पर दर्ज केस जांच इंस्पेक्टर आशीष दुबे को दी गई, जबकि पुलिस वालों के बयान पर दर्ज मामले की तफ्तीश सब इंस्पेक्टर विवेक को सौंपी गई है। शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे क्राइम ब्रांच की टीम ने मुखर्जी नगर थाने जाकर मुख्य गेट पर लगे दो कैमरों और एक थाने के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज कब्जे में ली। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो को जांच के दायरे में रखा गया है। थाने ली गई फुटेज में साफ दिख रहा है कि सरबजीत और उसके बेटे से थाने के अंदर कोई मारपीट नहीं की गई। जबकि कुछ ही मिनट बाद एसीपी सहित अन्य पुलिस अधिकारी थाने में पहुंच गए। दोनों केस से जुड़ी फाइल और उससे संबंधित केस प्रॉपर्टी इनवेस्टिगेशन ऑफिसर (आईओ) को दे दी गई है। 

सरबजीत के बयान में एक पुलिसकर्मी नामजद 
पुलिस ने सरबजीत के बयान पर पुलिसवालों पर धारा 323 (मारपीट), 341 (रास्ता रोकने), 355 (भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 34 लगाई है, जबकि इसमें एएसआई जयपाल को नामजद किया गया है। जांच के दौरान सरबजीत और उनके 15 वर्षीय नाबालिग बेटे को भी समन किया जाएगा, क्योंकि एफआईआर में दर्ज बयान अधूरे हैं। आरोपी पुलिसवालों को भी तफ्तीश के दौरान पेश होना होगा। सरबजीत से बरामद कृपाण की लंबाई करीब 40 सेमी बताई गई है, जो काफी ज्यादा है। इसलिए संविधान और सिख धर्म तय मानदंडों को भी खंगाला जाएगा। अगर ये लंबाई तय सीमा से ज्यादा मिली तो फिर आम्र्स एक्ट की धाराएं भी लग सकती हैं। 

एसीपी की पिटाई, पुलिस डिपार्टमेंट में रोष 
17 जून की रात को एसीपी केजी त्यागी की भीड़ ने पिटाई की थी, जिसकी एमएलसी करवाई गई थी। पुलिस की एक बस और जिप्सी समेत तीन गाडिय़ों को तोड़ा गया। लेकिन पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। इस मामले को भले ही दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने शांत करा दिया हो, लेकिन पूरे दिल्ली पुलिस डिपार्टमेंट में इस बात को लेकर काफी रोष है कि एक एसीपी की पिटाई के बाद भी अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। 

ज्वाइंट सीपी ने बनाई शुरुआती रिपोर्ट
एएसआई योगराज शर्मा के सिर पर तलवार से जानलेवा हमला हुआ है, जिससे उनके सिर पर चार टांके लगे। ऐसे में हत्या के प्रयास की धारा 307 शुरुआत से ही जोड़ी जानी चाहिए थी। जैसा क्राइम हुआ है, वैसी ही धारा लगाना जांच अधिकारी का काम है। अगर वो ऐसा नहीं करता है तो यह भी अपने आप में क्राइम है। इसलिए क्राइम ब्रांच को अब डॉक्टरों की फाइनल ओपिनियन का इंतजार है, जिसके बाद धारा पर फैसला होगा।  

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