देश में इससे पहले जुलाई-2015 को मुम्बई बम हमले के दोषी याकूब मेनन को मिली मौत की सजा

Edited By Anil dev,Updated: 08 Jan, 2020 11:20 AM

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देश में इससे पहले 1993 के मुम्बई बम हमले के दोषी याकूब मेनन को 30 जुलाई, 2015 को मौत की सजा दी गई थी। दिल्ली में राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय की तरफ से मौत की सजा पर जारी परियोजना 39ए के मुताबिक 2000 से 2014 के बीच निचली अदालतों ने 1810 लोगों को...

नई दिल्ली: देश में इससे पहले 1993 के मुम्बई बम हमले के दोषी याकूब मेनन को 30 जुलाई, 2015 को मौत की सजा दी गई थी। दिल्ली में राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय की तरफ से मौत की सजा पर जारी परियोजना 39ए के मुताबिक 2000 से 2014 के बीच निचली अदालतों ने 1810 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी। इनमें से आधी से अधिक सजाओं को आजीवन कारावास में तबदील कर दिया गया और दोषियों में एक-चौथाई या 443 को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने बरी कर दिया।  उच्चतम न्यायालय ने 2018 में 11 मौत की सजा को आजीवन कारावास में तबदील कर दिया। 

‘कॉर्नेल सैंटर ऑन डैथ पैनल्टी वल्र्ड वाइड’ के मुताबिक 30 जुलाई, 2015 को मौत की सजा पाने वाला याकूब मेमन 1993 के मुम्बई बम हमले का वित्त पोषण करने का दोषी था। वर्ष 2001 में संसद पर हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु को 10 वर्ष बाद 9 फरवरी, 2013 को उसे फांसी पर लटकाया गया था। 2008 में मुम्बई हमले में शामिल आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को 21 नवम्बर, 2012 को फांसी पर लटकाया गया था। भारत में निचली अदालतों ने 2018 में 162 लोगों को फांसी की सजा दी जो 2000 के बाद करीब 2 दशक में सर्वाधिक थी। इनमें से 45 मामले हत्या और 58 मामले हत्या एवं यौन अपराधों के थे। स्वतंत्र भारत के शुरूआत में फांसी की सजाओं में नाथूराम गोडसे और नारायण डी. आप्टे की सजा शामिल थी जो महात्मा गांधी के हत्यारे थे। उन्हें 15 नवम्बर, 1949 को हरियाणा के अंबाला केंद्रीय कारागार में फांसी पर लटकाया गया था।

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