नासा को अंतरिक्ष में मिली नई सफलता, मिशन में भारतीय ने निभाया अहम रोल

Edited By Tanuja,Updated: 01 Jan, 2019 12:31 PM

mumbai man shyam bhaskaran to steer nasa s historic flyby

नासा ने भारत की मदद से अंतरिक्ष में नई सफलता हासिल की है। नासा के ऐतिहासिक फ्लाइबाय मिशन के तहत 1 जनवरी को अज्ञात ऑब्जेक्ट अल्टिमा थुले के पास से गुजरा। अल्टिमा थुले हमारे सोलर सिस्टम में सबसे ज्यादा दूरी पर स्थित ऑब्जेक्ट है...

लॉसएंजलिसः नासा ने भारत की मदद से अंतरिक्ष में नई सफलता हासिल की है। नासा के ऐतिहासिक फ्लाइबाय मिशन के तहत 1 जनवरी को अज्ञात ऑब्जेक्ट अल्टिमा थुले के पास से गुजरा। अल्टिमा थुले हमारे सोलर सिस्टम में सबसे ज्यादा दूरी पर स्थित ऑब्जेक्ट है। खास बात यह है कि मुंबई के श्याम भासकरन इस ऐतिहासिक फ्लाइबाय मिशन का खास हिस्सा बने। न्यू होराइजन जनवरी 2006 को पृथ्वी से छोड़ा गया था।
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इस फ्लाइबाय मिशन को नैविगेट करने में भासकरन ने भी भूमिका निभाई। बता दें कि श्याम भासकरन नासा की जेट प्रोप्लशन लैबरेटरी में काम करते हैं। उनकी जन्म 1963 को मुंबई के माटुंगा में हुआ था। भासकरन इससे पहले भी नासा के कई मिशन्स को नैविगेट कर चुके हैं। बता दें कि अल्टिमा थुले पर रोशनी इतनी कम है और वह इतना दूर है कि वैज्ञानिकों को फिलहाल उसके साइज और शेप का कोई अंदाजा नहीं है। लेकिन अब न्यू होराइजन के पास तक जाने से कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है क्योंकि वह उसकी कुछ तस्वीरें भी भेजेगा। मिशन शुरू होने से पहले भासकरन ने कहा था कि अगर 14 जुलाई 2015 को प्लूटो के फ्लाइबाय से तुलना की जाए तो यह आसान होगा क्योंकि उसके आसपास कोई बड़े वस्तुएं नहीं हैं।
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मिशन में चुनौतियों पर भासकरन ने कहा था कि यह आसान नहीं है क्योंकि इससे पहले तक नासा किसी ऐसी चीज के पास नहीं गया, जिसके बारे में जानकारी ही नहीं थी और जो इतना छोटा और अंधेरे से भरा हो। भासकरन ने बताया कि अल्टिमा थुले को ढूंढना ही अपने आप में चुनौती होनेवाला था। जानकारी के मुताबिक, 1 जनवरी को न्यू होराइजन स्पेसक्राफ्ट ने अल्टिमा थुले से करीब 3,500 किलोमीटर ऊपर उड़ान भरी। इससे पहले भासकरन ने रविवार सुबह नैविगेशन टीम से बात कर बताया था कि सब काम ठीक चल रहा है। भासकरन ने बताया था कि उन्हें अपने वे दिन अभी भी याद हैं जब वह मुंबई के पेड्डर रोड पर स्थित केलिनवर्थ में रहते थे।
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उस जगह पर परमाणु ऊर्जा का डिपार्टमेंट था। उनके पिताजी भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में ही काम किया करते थे। भासकरन 1968 में भारत छोड़कर यूएस शिफ्ट हुए थे। इस बीच वह 1981 में अपने रिश्तेदारों से मिलने वापस मुंबई भी आए थे। तब उन्होंने पाया था कि मुंबई पहले से मुकाबले काफी बदल गई है। उस पल को याद करते हुए भासकरन ने कहा था, 'मैंने देखा कि मुंबई एक बड़ा शहर हो गया था। वहां भीड़ काफी बढ़ गई थी। हां मैं दोबारा वहां जरूर जाना चाहूंगा।'

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