Edited By Monika Jamwal,Updated: 05 Jun, 2020 04:43 PM
कश्मीर में भले ही कट्टरवाद अपना घर कर चुका है पर जहां की आवोहवा में सांप्रदायिक सोहार्द अभी खत्म नहीं हुआ है।
श्रीनगर: कश्मीर में भले ही कट्टरवाद अपना घर कर चुका है पर जहां की आवोहवा में सांप्रदायिक सोहार्द अभी खत्म नहीं हुआ है। जिस घाटी में कश्मीरी पंडित और मुस्लमान मिलकर साथ-साथ रहते थे वहां आज भी इनके प्रेम की झलक देखने को मिल जाती है। ऐसा ही वाक्या हाल ही में देखने को मिला। बांदीपोरा में 75 वर्षीय रानी भट के शव को उसके पड़ोसी मुस्लमान भाईयों ने कांधा देकर शमशान पहुंचाया। उन्होंने अंतिम क्रिया में प्रयोग होने वाले सामान को खरीदने से लेकर हर तरह की संभव मद्द की।
यह घटना पूरे कश्मीर में चर्चा का विषय बनी हुई है। परिवार ने भी मुस्लिम भाईयों का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि हम हमेशा से एक होकर ही रहे हैं और यह हमारी पहचान है। बांदीपोरा में अभी भी कई सारे पंडित परिवार हैं। इन्होंने आतंकवाद के बाद भी वहां से पलायन नहीं किया है। दोनों धर्माे के लोग अभी भी वहां पर एक दूसरे का दर्द बांटते आ रहे हैं।
स्थानीय निवासी ने बताया, हमे जैसे ही पता चला कि कश्मीरी पंडित के घर में मौत हो गई है, हमस ब वहां पहुंच गये। उन्हें हमारी मद्द की आवश्यकता थी और हमने की भी। हमारा फर्ज था। उन्होंने कहा कि हमस ब मिलकर रहते हैं। यही हमारा कल्चर है। आपको बता दें कि इससे पहले भी इस तरह के वाक्या कश्मीर में देखने को मिल चुके हैं।