Edited By Yaspal,Updated: 27 Apr, 2019 07:00 PM
मद्रास उच्च न्यायालय का कहना है कि 18 साल से कम की लड़की और नाबालिग या नाबालिग उम्र से थोड़ी अधिक की आयु वाले लड़के के बीच संबंधों को ‘‘अप्राकृतिक'''' या ‘‘प्रतिकूल'''' नहीं कहा जा सकता। अदालत ने सुझाव दिया कि 16 साल की आयु के...
चेन्नईः मद्रास उच्च न्यायालय का कहना है कि 18 साल से कम की लड़की और नाबालिग या नाबालिग उम्र से थोड़ी अधिक की आयु वाले लड़के के बीच संबंधों को ‘‘अप्राकृतिक'' या ‘‘प्रतिकूल'' नहीं कहा जा सकता। अदालत ने सुझाव दिया कि 16 साल की आयु के बाद आपसी सहमति से बनाए गए यौन संबंधों को बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून के दायरे से बाहर किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति वी पतिबन ने सबरी नाम के व्यक्ति की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को यह सुझाव दिया जिसमें उसने पॉक्सो कानून के तहत नमक्कल की एक महिला अदालत द्वारा उसे सुनाई गई 10 साल की सजा को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता पर 17 साल की लड़की के अपहरण और यौन हमला का आरोप है।
कानून में संशोधन का सुझाव देते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘‘16 साल की उम्र के बाद आपसी सहमति से बनाए गए यौन संबंधों या शारीरिक संपर्कों या इससे जुड़े कृत्यों को पॉक्सो कानून के कठोर प्रावधानों से बाहर किया जा सकता है और इस तरह के यौन हमले को, अगर यह इस तरह से परिभाषित है तो उसकी सुनवाई ज्यादा उदार प्रावधान के तहत हो सकती है, जिन्हें कानून में शामिल किया जा सकता है...''
न्यायाधीश ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, सामाजिक रक्षा आयुक्त सहित अन्य को इस मामले को सक्षम प्राधिकार के सामने रखने तथा इस बात की संभावनाएं तलाशने को कहा कि सुझाव सभी पक्षों को स्वीकार्य हैं या नहीं। इससे पहले, न्यायाधीश ने आरोपी को सभी आरोपों में बरी करते हुए निचली अदालत की दोषसिद्धि निरस्त की थी।