पीएम मोदी के प्रयासों से भारत आत्मनिर्भर भी बना और मजबूत भी: नकवी

Edited By vasudha,Updated: 17 Aug, 2020 03:48 PM

naqvi says india became self reliant and also stronger by pm modi efforts

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बड़े असर को रोका जा सका और भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ तेजी से बढ़ रहा है...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बड़े असर को रोका जा सका और भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एनएमडीएफसी) द्वारा नयी दिल्ली के होली फैमिली अस्पताल को प्रदान किए गए ‘मोबाइल क्लीनिक' को हरी झंडी दिखाने के अवसर पर नकवी ने यह बात कही। 

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में लोगों की जिंदगी में परिवर्तन, कार्य संस्कृति में बदलाव एवं देश और समाज की ओर जिम्मेदारी के प्रति नयी ऊर्जा पैदा हुई है। इस संकट के समय लोगों के सकारात्मक संकल्प और मोदी सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति का नतीजा रहा कि भारत, स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के पायदान पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। एन-95 मास्क, पीपीई किट, वेंटीलेटर एवं अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी चीजों के उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर भी बना और दूसरे देशों की भी मदद की। आज कोरोना के अस्पतालों की संख्या 1054 हो गई है।

 

नकवी ने कहा कि कोरोना महामारी की शुरुआत के समय हमारे देश में सिर्फ एक टेस्टिंग लैब थी, आज 1400 लैब का नेटवर्क है। जब कोरोना का संकट आया तो एक दिन में सिर्फ 300 टेस्ट हो पाते थे, आज हर दिन 7 लाख से ज्यादा टेस्ट हो रहे हैं। प्रत्येक भारतीय को स्वास्थ्य पहचानपत्र देने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन शुरू किया गया है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में पिछले 6 वर्षों में मोदी सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में कोरोना संकट के बड़े प्रभाव को रोका जा सका। मंत्री ने बताया कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित 1500 से ज्यादा स्वास्थ्य सहायक, कोरोना से प्रभावित लोगों की सेवा में लगे हैं। इन प्रशिक्षित स्वास्थ्य सहायकों में 50 प्रतिशत लड़कियां हैं। इस वर्ष 2000 से ज्यादा अन्य स्वास्थ्य सहायकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। 

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