Edited By Anil dev,Updated: 10 Jun, 2019 09:43 AM
भारत और अमरीका महत्वपूर्ण गोपनीय सैन्य प्रौद्योगिकी सांझा करेंगे। इस दिशा में रूपरेखा पर दोनों देश काम रहे हैं ताकि अमरीकी रक्षा कंपनियां संयुक्त उपक्रम के तहत भारतीय निजी क्षेत्र को ये प्रौद्योगिकी हस्तांतरित कर सकें। यह जानकारी ऑटोमोबाइल क्षेत्र...
नई दिल्ली: भारत और अमरीका महत्वपूर्ण गोपनीय सैन्य प्रौद्योगिकी सांझा करेंगे। इस दिशा में रूपरेखा पर दोनों देश काम रहे हैं ताकि अमरीकी रक्षा कंपनियां संयुक्त उपक्रम के तहत भारतीय निजी क्षेत्र को ये प्रौद्योगिकी हस्तांतरित कर सकें। यह जानकारी ऑटोमोबाइल क्षेत्र के सूत्रों ने दी। इसे मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। रूपरेखा में विशिष्ट उपायों का जिक्र होगा ताकि भारतीय कंपनियों के साथ सांझा की गई संवेदनशील प्रौद्योगिकी और गोपनीय सूचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। सरकारों के बीच रूपरेखा से जवाबदेही, बौद्धिक संपदा अधिकार और औद्योगिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर स्पष्टता आएगी।
अमरीकी रक्षा उद्योग निजी क्षेत्र की भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ सैन्य हार्डवेयर एवं प्लेटफॉर्म के लिए इस तरह के समझौते की रूपरेखा चाहता है। अमरीका की कंपनियों ने भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम में कुछ महत्वपूर्ण सैन्य प्लेटफॉर्म का भारत में ही निर्माण करने की पेशकश की है। लॉकहीड माॢटन ने पिछले महीने भारत को नवीनतम लड़ाकू विमान एफ-21 बनाने की पेशकश की थी। अमरीकी रक्षा कंपनी ने यह भी कहा कि अगर भारत 114 विमानों के ऑर्डर देता है तो वह किसी अन्य देश को यह विमान नहीं बेचेगी। भारत-अमरीका व्यवसाय परिषद भी भारतीय कंपनियों के साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी सांझा करने के लिए रूपरेखा बनाने का दबाव बना रही है।
अरबों डॉलर के सौदों पर अमरीकी कंपनियों की नजर
बोइंग और लॉकहीड माॢटन जैसी अमरीका की बड़ी रक्षा कंपनियां भारत के साथ अरबों डॉलर के समझौते पर नजरें गड़ाए हुए हैं। उन्होंने भारतीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम में कुछ प्रमुख सैन्य प्लेटफॉर्म का भारत में ही निर्माण करने की पेशकश की है।
सबमरीन जैसे मिलिट्री प्लेटफॉर्म पर नजर
स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप मॉडल के तहत प्राइवेट फम्र्स विदेशी कंपनियों के साथ सांझेदारी कर भारत में सबमरीन और लड़ाकू विमान जैसे मिलिट्री प्लेटफॉर्म का निर्माण कर सकती हैं। भारत और अमरीका के रक्षा संबंध मजबूत हैं और दोनों देश इन्हें आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्धता जता चुके हैं। बता दें कि जून, 2016 में अमरीका ने भारत को ‘मेजर डिफैंस पार्टनर’ का दर्जा दिया था।
इंडिया बिजनैस काऊंसिल का भी दबाव
इंडिया बिजनैस काऊंसिल भी भारतीय कंपनियों के साथ महत्वपूर्ण टैक्नोलॉजी सांझा करने के लिए रूपरेखा बनाने का दबाव बना रही है। एक अधिकारी ने कहा कि कई अमरीकी कंपनियों की नजरें भारत में मैगा प्रोजैक्टों पर हैं लेकिन वे भारतीय प्राइवेट सैक्टर के साथ शेयर की जाने वाली महत्वपूर्ण टैक्नोलॉजी की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं हैं।