मोदी राज में भी भ्रष्टाचार पर नहीं लगी लगाम, जारी हुई रिपोर्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Feb, 2018 05:41 PM

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मोदी के लाख दावों के बावजूद भारत में भ्रष्टाचार का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हद तो यह हो गई है कि मोदी राज में भ्रष्टाचार के मामले में भारत ने पाकिस्तान के आसपास आकर खड़ा हो गया है। दुनिया के भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी...

नेशनल डेस्क(आशीष पाण्डेय) : मोदी के लाख दावों के बावजूद भारत में भ्रष्टाचार का दायरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हद तो यह हो गई है कि भ्रष्टाचार के मामले में भारत, पाकिस्तान के आसपास आकर खड़ा हो गया है। दुनिया के भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 2017 की रिपोर्ट जारी कर दी है। जिसके मुताबिक भ्रष्टाचार में भारत का स्कोर पुराने अंक के बराबर है। हालांकि रैकिंग में जरूर कुछ सुधार हुआ है। ये अलग बात है कि बीते सालों की अपेक्षा भारत को इस बार केवल 2 रैंक की बेहतरी हुई है। 2016 में यह 79वें स्थान पर था और अब 81वें नंबर पर पहुंच गया है। 2017 में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने 180 देशों में सर्वे किया है, जिसमें भारत का नंबर 81वां है। जबकि 2016 में 176 देशों के बीच यह सर्वे किया गया था और तब भारत का स्थान 79वां था। इसके एक साल पहले 2015 में 76वां स्थान था।
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बेहतर हुआ स्कोर
2012-13 से भारत का स्कोर लगातार बेहतर हो रहा है। लेकिन स्कोर में केवल 2 अंकों का ही हर साल इजाफा हो रहा है। 2015 के 38 अंकों के मुकाबले भारत को इस बार भी 40 अंक मिले हैं, जो पिछले कई वर्षों से इसी स्थान पर बना हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत के मुकाबले अधिक भ्रष्टाचारी है। पाकिस्तान की रैकिंग 32 अंक लेकर 117 पर है जबकि भ्रष्टाचार के इस इंडेक्स में बांग्लादेश 28 अंक लेकर 143वें रैंक पर है। स्कोर के रूप में देंखे तो भारत के स्कोर से पाकिस्तान 8 अंक और बांग्लादेश 12 अंक पीछे हैं। हालांकि चीन भ्रष्टाचार के मामले में भारत से 1 अंक ज्यादा प्राप्त किया है। और उसकी रैंकिग 41 है। जिसके मुताबिक चीन में भारत से कम भ्रष्टाचार है।
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साख पर हो सकता है असर
करप्शन परसेप्शंस इंडेक्स बर्लिन स्थित संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल हर साल यह रिपोर्ट जारी करती है। संस्था के मुताबिक, यह एक जटिल इंडेक्स है जिसमें अलग अलग संस्थानों के जरिये जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर भ्रष्टाचार का अनुमान लगाया जाता है। वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव होने है। मोदी सरकार का यह अंतिम साल है, अपने कार्यकाल में ब्लैकमनी और भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार केवल बयानबाजी करती रही। काला लाने का दावा करने वाली इस सरकार के नाक के नीचे से ही ललित मोदी, विजय माल्या और नीरव मोदी भारत की अर्थ व्यवस्था को भारी चोट पहुंचाते हुए विदेश भाग गए, और सरकार कार्रवाई के नाम पर अबतक केवल सांप निकलने पर लाठी पीटने की कहावत को चरितार्थ करती नजर आ रही है। 

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