अयोध्या पहुंचते ही मोदी ने रचा इतिहास, कर डाला वो काम जो आज तक कोई PM नहीं कर सका

Edited By Anil dev,Updated: 05 Aug, 2020 01:04 PM

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आस्था के समंदर में गोते लगाती राम की नगरी अयोध्या भूमि पूजन की पूर्व संध्या पर मंगलवार शाम दीपों की रोशनी से जगमगा उठी। देश दुनिया के करोड़ों रामभक्तों के अयोध्या में भव्य राम मंदिर के सपने को साकार करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज राम की...

नई दिल्ली: आस्था के समंदर में गोते लगाती राम की नगरी अयोध्या भूमि पूजन की पूर्व संध्या पर मंगलवार शाम दीपों की रोशनी से जगमगा उठी। देश दुनिया के करोड़ों रामभक्तों के अयोध्या में भव्य राम मंदिर के सपने को साकार करने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज राम की नगरी में पहुंचे । राम की पैड़ी समेत अयोध्या धाम के अलग अलग 50 स्थानो पर तीन लाख 51 हजार दीप प्रज्जवलित किये गये। रामलला की जन्मभूमि में आज की तारीख यानि 5 अगस्त भी ऐतिहासिक होगी। क्योंकि पहली बार कोई प्रधानमंत्री यहां के कार्यक्रम में शामिल होंगे। नरेंद्र मोदी के हाथों श्रीरामजन्मभूमि मंदिर की शुरुआत के साथ अयोध्या के इतिहास में जुड़ेगा। दरअसल पिछले 5 दशकों में इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी बतौर प्रधानमंत्री यहां पर आए तो सही मगर जन्मस्थान से उन्होंने दूरी बनाए रखी।  नरेंद्र मोदी अकेले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो इससे नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। 

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इंदिरा गांधी 1966 में नया घाट पर बने सरयू पुल का लोकार्पण करने आईं फिर आचार्य नरेन्द्र देव विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में आईं। इसके बाद 1979 में हनुमान गढ़ी दर्शन करने आईं। राजीव गांधी भी प्रधानमंत्री रहते दो बार और पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में एक बार आए।  उन्होंने 1984 में चुनावी सभा को यहां संबोधित किया और फिर 1989 के लोकसभा चुनाव के अभियान की फैजाबाद (अयोध्या) से शुरुआत कर प्रतीकात्मक रूप से राम नाम के सरोकारों का सियासी लाभ लेने की कोशिश की। माना जाता है रामराज्य की घोषणा के पीछे राजीव गांधी की मंशा 1986 में जन्मभूमि का ताला खुलवाने और नवंबर 1989 में शिलान्यास कराने के कामों का परोक्ष्य रूप से राजनीतिक लाभ लेने की थी।

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मोदी से पहले अटल बिहारी वाजपेयी 2003 में अयोध्या आए थे लेकिन वह मंदिर के निमित्त किसी सीधे अनुष्ठान में शामिल होने के बजाय इस आंदोलन के प्रमुख व शीर्ष चेहरे महंत रामचंद्र परमहंस के अंतिम संस्कार में शामिल होने। उन्होंने सरयू तट पर महंत की चिता के सामने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की उनकी इच्छा पूरी करने की घोषणा की थी। अटल 2003 से पहले भी सरयू तट पर आए थे, लेकिन अयोध्या के बजाय गोंडा की सीमा में। व्यावहारिक रूप से अयोध्या में, लेकिन तकनीकी तौर पर गोंडा में। 
 

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