Edited By Anil dev,Updated: 15 Jul, 2020 12:28 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए लोगों को अपने कौशल के उन्नयन का कोई भी मौका नहीं चूकना चाहिए। उन्होंने इसके लिए तीन मंत्र दिए - कौशल (स्किल), पुन: कौशल अर्जित करना...
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौर में खुद को प्रासंगिक बनाए रखने के लिए लोगों को अपने कौशल के उन्नयन का कोई भी मौका नहीं चूकना चाहिए। उन्होंने इसके लिए तीन मंत्र दिए - कौशल (स्किल), पुन: कौशल अर्जित करना (री-स्किल) और कौशल उन्नयन (अपस्किल)। प्रधानमंत्री ने विश्व युवा कौशल दिवस के अवसर पर आयोजित कौशल भारत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, कोरोना (वायरस) के इस संकट ने कार्य संस्कृति के साथ ही नेचर ऑफ जॉब को भी बदल कर के रख दिया है और बदलती हुई नित्य नूतन तकनीक ने भी उस पर प्रभाव पैदा किया है। कई लोग मुझसे पूछते हैं कि आज के दौर में बिजनेस और बाजार इतनी तेजी से बदलते हैं कि समझ ही नहीं आता कि प्रासंगिक कैसे रहा जाए।
उन्होंने कहा कि कोरोना के समय में तो यह सवाल और भी अहम हो गया है। मोदी ने कहा, प्रांसगिक रहने का मंत्र है स्किल। इसका अर्थ है आप कोई नया हुनर सीखें। प्रासंगिक बनाए रखने के लिए कुछ नया सीखना पड़ता है। स्किल का और विस्तार करना होता है। स्किल, री-स्किल और अपस्किल करना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक सफल व्यक्ति की बहुत बड़ी निशानी होती है कि वह अपने कौशल को बढ़ाने का कोई भी मौका जाने ना दे और नया मौका ढूंढता रहे।
उन्होंने कहा, कौशल के प्रति अगर आप में आकर्षण नहीं है, कुछ नया सीखने की ललक नहीं है तो जीवन ठहर जाता है। एक रुकावट आ जाती है। एक प्रकार से वह व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को बोझ बना देता है। खुद के लिए ही नहीं अपने स्वजनों के लिए भी बोझ बन जाता है। उन्होंने कहा कि कौशल के प्रति आकर्षण जीने की ताकत देता है, जीने का उत्साह देता है। उन्होंने कहा, च्च्यह सिर्फ रोजी-रोटी और पैसे कमाने का जरिया नहीं है। जीने के लिए कौशल हमारी प्रेरणा बनता है। यह हमें ऊर्जा देने का काम करती है।