Edited By Anil dev,Updated: 24 Nov, 2020 01:17 PM
पाकिस्तान के साथ सीमा पर चल रही गोलीबारी और चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच भारत ने भारत ने अपनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के लैंड अटैक वर्जन का आज सफल परीक्षण किया। परीक्षण के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल ने सटीक निशाने पर सफर वार किया।
नेशनल डेस्क: पाकिस्तान के साथ सीमा पर चल रही गोलीबारी और चीन के साथ जारी सीमा विवाद के बीच भारत ने भारत ने अपनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के लैंड अटैक वर्जन का आज सफल परीक्षण किया। परीक्षण के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल ने सटीक निशाने पर सफर वार किया।
भारतीय सेना ने मंगलवार को अंडमान और निकोबार द्वीप से इस क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इसने अपने टारगेट को सफलतापूर्वक पार कर लिया जो वहां मौजूद एक अन्य द्वीप पर था। परीक्षण भारतीय सेना द्वारा आयोजित किया गया था जिसमें डीआरडीओ द्वारा विकसित मिसाइल प्रणाली के कई रेजिमेंट हैं। ब्रह्मोस मिसाइल की स्ट्राइक रेंज अब 400 किमी से अधिक बढ़ा दी गई है। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल अपनी कक्षा में दुनिया की सबसे तेज परिचालन प्रणाली है और हाल ही में डीआरडीओ ने मिसाइल प्रणाली की सीमा को मौजूदा 298 किलोमीटर से बढ़ाकर लगभग 450 किलोमीटर कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार, चीन और पाकिस्तान के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा और नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के बीच भारत इस सप्ताह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के कई लाइव परीक्षण करेगा। वहीं, पिछले हफ्ते भारत ने ओडिशा से क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह इलेक्ट्रॉनिक काउंटर सिस्टम से लैस है। यह एयरक्राफ्ट रडार के जैमर को मात देने में सक्षम है। इसमें ठोस ईधन का इस्तेमाल किया जाता है।
जानिए क्या है खासियतें?
- ब्रह्मोस मिसाइल 28 फीट लंबी है और यह 3000 किलोग्राम वजन की है
- इसमें 200 किलोग्राम के पारंपरिक और परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं
- यह 300 किलोमीटर से 800 किलोमीटर तक की दूरी पर बैठे दुश्मन पर अचूक निशाना लगाती है
- यह 4300 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हमला करती है
- ब्रह्मोस स्पीड में अमेरिकी सेना की मिसाइल टॉमहॉक से चार गुनी तेज है
- इसकी रेंज 290 किमी से लेकर 300 किमी तक हैब्रह्मोस मिसाइल को प्रिसिजन टारगेटिंग के लिए यूज किया जा सकता है. पिछले कुछ सालों में यह सेना के सबसे पसंदीदा हथियार के रूप में उभरी है
- सुखोई और ब्रह्मोस का कॉम्बो अंडरग्राउंड बंकर्स, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स के अलावा कई मिलिट्री टारगेट्स पर सर्जिकल स्ट्राइज करने में इस्तेमाल किया जा सकता है
- ब्रह्मोस का नाम दो नदियों भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस को मोस्कवा से मिलकर बना है
- जहाज और जमीन से लांच होने पर यह मिसाइल 200 किलो वारॅहेड्स ले जा सकती है
- वहीं एयरक्राफ्ट से लांच होने पर 300 किलो के वॉरहेड्स ले जाने में सक्षम
- विशेषज्ञों की मानें तो 2.8 और 3.0 मैक की स्पीड इसे इंटरसेप्ट नहीं किया सकता है।
- अगर ऐसा करना है तो दुश्मनों को अपने सिस्टम को अपग्रेड करना होगा या फिर नया सिस्टम बनाना होगा।