किसान आंदोलन को लेकर पीयूष गोयल बोले, माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं असामाजिक तत्व

Edited By Anil dev,Updated: 12 Dec, 2020 12:57 PM

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कृषि कानूनों पर आंदोलित किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन को और तेज करने की चेतावनी के बीच सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने देने के लिए सतर्क रहें। साथ ही, कहा कि प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं लेकिन...

नेशनल डेस्क: कृषि कानूनों पर आंदोलित किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन को और तेज करने की चेतावनी के बीच सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से कहा कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने देने के लिए सतर्क रहें। साथ ही, कहा कि प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं लेकिन कुछ असामाजिक, वामपंथी और माओवादी तत्व आंदोलन का माहौल बिगाडऩे की साजिश कर रहे हैं। खाद्य, रेलवे और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहीं अधिक मुखरता से आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने आंदोलन का नियंत्रण संभाल लिया है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की जगह कुछ और एजेंडा चला रहे हैं। गोयल ने किसानों से अपील की है कि वे उनके बहकावे में ना आकर सरकार से बातचीत करें। किसानों के लिए सरकार के दरवाजे खुले हैं और सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।

वामपंथी तत्वों ने संभाल लिया है आंदोलन का नियंत्रण
पीयूष गोयल ने कहीं अधिक मुखरता से आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने आंदोलन का नियंत्रण संभाल लिया है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की जगह कुछ और एजेंडा चला रहे हैं। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, देश की जनता देख रही है, उसे पता है कि क्या चल रहा है, समझ रही है कि कैसे पूरे देश में वामपंथियों/माओवादियों को कोई समर्थन नहीं मिलने के बाद वे किसान आंदोलन को हाईजैक करके इस मंच का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करना चाहते हैं। किसान नेताओं ने हालांकि बृहस्पतिवार को स्पष्ट रूप से कहा था कि केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ उनके प्रदर्शन का राजनीति से कोई वास्ता नहीं है। 

सरकार और किसानों के बीच हो चुकी है कम से कम पांच दौर की वार्ता 
इससे पहले किसान आंदोलन को लेकर उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि रचनात्मक बातचीत के माध्यम से सभी समस्याओं का समाधान निकल सकता है। उन्होंने राजनीति में जाति, अपराधिकरण, सामुदायिकरण और नकदी के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता जतायी और जनता से कहा कि अपना प्रतिनिधि चुनते हुए वे क्षमता, व्यवहार और चरित्र आदि पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि जनता प्रदर्शन के आधार पर अपने प्रतिनिधि और सरकारों का चुनाव करे। आधिकारिक बयान के अनुसार, किसानों के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी समस्याओं का समाधान रचनात्मक बातचीत के माध्यम से हो सकता है। किसान नेताओं ने बृहस्पतिवार को घोषणा की थी कि यदि उनकी मांगें सरकार नहीं मानती है तो वे देशभर में रेलमार्गों को जाम कर देंगे और शीघ्र ही इस बारे में तारीख घोषित करेंगे। केन्द्र और किसानों के प्रतिनिधियों, विशेष रूप से प्रदर्शन में शामिल हरियाणा पंजाब के किसानों के नेताओं, के बीच कम से कम पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन गतिरोध अभी भी जारी है। 

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