Edited By Anil dev,Updated: 15 Dec, 2020 04:40 PM
केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन 20वें दिन में प्रवेश कर चुका है और हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। इस बीच 20 दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान कईं बार सरकार से बातचीत कर चुके हैं...
नेशनल डेस्क: केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन 20वें दिन में प्रवेश कर चुका है और हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। इस बीच 20 दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान कईं बार सरकार से बातचीत कर चुके हैं लेकिन बात नहीं बन सकी है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के नेतओं ने ऐसे भी बयान दिए हैं जिसने किसानों की नाराजगी को और बढ़ाने का काम किया है। आईए एक नजर डालते हैं कुछ ऐसे ही बयानों पर....
500 किसान यूनियनें कुकरमुत्तों की तरह सामने आ गई
मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि मंत्री कमल पटेल ने केंद्र सरकार के कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान संगठनों पर विवादित बयान देकर आंदोलन को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की।दरअसल, पटेल सोमवार को उजजैन में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। पटेल ने कहा, 500 किसान यूनियनें कुकरमुत्तों की तरह सामने आ गई हैं। ये किसान यूनियनें नहीं हैं, ये बिचौलियों और देश विरोधी संगठनों से जुड़े लोग हैं। वे विदेशी ताकतों द्वारा वित्त पोषित हैं, जो नहीं चाहते कि देश मजबूत हो। ये देश और सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं। किसान जनजागरण अभियान के माध्यम से इनका पर्दाफाश होना जरूरी है।
आंदोलन में एक फीसदी किसान भी शामिल नहीं, घुस गया है टुकड़े-टुकड़े गैंग
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह ने प्रदेश मुख्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में एक फीसदी किसान भी शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि किसान भोले-भाले हैं, लेकिन इनमें टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग घुस गए हैं जिनके बारे में बात करना जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां किसान आंदोलन को हवा दे रही हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि किसान और सरकार की वार्ता जल्द ही असर दिखाएगी और आंदोलन समाप्त होगा।
पीयूष गोयल ने की थी ये टिप्पणी
किसान संगठनों के साथ बैठक करने वाले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी ऐसा विवादित बयान दे चुके हैं जिसने किसानों की नाराजगी को हवा दी। पीयूष गोयल ने कहा था कि अब ये आंदोलन किसानों का नहीं रह गया है, क्योंकि इसमें वामपंथी और माओवादी तत्व शामिल हो गए हैं। गोयल ने कहा था कि इस आंदोलन के माध्यम से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए सजा काट रहे लोगों की रिहाई की मांग की जा रही है।
किसान आंदोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ: दानव
केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे ने कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर जारी किसानों विरोध प्रदर्शनों के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है। उनका ये भी कहना था कि इससे पहले संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को लेकर भी मुसलमान भाईयों को गुमराह किया गया था, लेकिन ये प्रयास असफल रहा। उसी प्रकार अब किसानों से कहा जा रहा है कि नए कानून से नुकसान होगा। उनके इस बयान की काफी आलोचना हो रही है। विरोधी दलों ने दानवे के बयान पर उनका इस्तीफे की मांगा है। उनके खिलाफ महाराष्ट्र में जगह-जगह प्रदर्शन किया जा रहा है।