‘सामना' के संपादकीय में थोराट की जगह पटोले के आने से गठबंधन में असंतोष का संकेत

Edited By Anil dev,Updated: 06 Feb, 2021 06:32 PM

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कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख के पद पर बालासाहेब थोराट की जगह नाना पटोले को नियुक्त करने और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष पद से पटोले के इस्तीफे को लेकर लगता है प्रदेश सरकार में उसकी सहयोगी शिवसेना खुश नहीं है और शनिवार को पार्टी के मुखपत्र सामना के...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख के पद पर बालासाहेब थोराट की जगह नाना पटोले को नियुक्त करने और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष पद से पटोले के इस्तीफे को लेकर लगता है प्रदेश सरकार में उसकी सहयोगी शिवसेना खुश नहीं है और शनिवार को पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में उसने इसके संकेत भी दिये। सामना के संपादकीय में शिवसेना ने यह भी कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार के उस कथित रुख में भी दम है कि तीनों गठबंधन सहयोगी विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर अब विचार-विमर्श के बाद फैसला लेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के लिये पटोले ने इस हफ्ते की शुरुआत में विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि राज्य में एक मार्च से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होना है। राज्य में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। 

सामना के संपादकीय में कहा गया है कि कांग्रेस को पांच साल के लिये विधानसभा अध्यक्ष का पद दिया गया था न कि बीच में ही इस पद पर चुनाव कराने के लिये जिससे बचा जाना चाहिए था। शिवसेना ने कहा, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि तीनों दल साथ बैठेंगे और फैसला करेंगे कि विधानसभा अध्यक्ष पद के लिये क्या करना है। एक बात निश्चित है कि पवार के नजरिये में दम है।ज्ज् इसमें कहा गया कि यद्यपि संगठनात्मक बदलाव कांग्रेस का अंदरूनी मामला है फिर भी इस बात को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत है कि फैसलों का सरकार पर असर न हो। शिवसेना ने कहा, दो साल पहले, स्थिति ऐसी थी कि कोई भी नेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान लेने को तैयार नहीं था। थोराट ने यह जिम्मेदारी ली और विधानसभा चुनावों में पार्टी को उम्मीद से ज्यादा सीटें मिलीं।

सामना में कहा गया, संकट के समय थोराट ने जिम्मेदारी ली। नागपुर में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने दो सीटें जीतीं। अगर गांधियों (कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के संभावित संदर्भ में) कुछ रैलियों को संबोधित किया होता तो विदर्भ में कांग्रेस की सीटों की संख्या बढ़ सकती थी। शिवसेना ने कहा कि पटोले के चयन से लगता है कि कांग्रेस ज्यादा आक्रामक चेहरे के पक्ष में है लेकिन च्च्अत्यधिक आक्रामकता भी अच्छी नहीं।ज्ज् संपादकीय में किसानों व मजदूरों के लिये काम करने वाले सीधे- बेलाग और आक्रामक नेता के तौर पर पटोले की तारीफ की गई है लेकिन सुझाव भी दिया कि तीन दलों वाली सरकार के सुचारू कामकाज के लिये संयम अहम है। 

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