Edited By Anil dev,Updated: 14 Apr, 2021 11:55 AM
कोविड-19 महामारी के बीच शवों की संख्या बढऩे से लगातार इस्तेमाल के कारण गुजरात के सूरत में कुछ शवदाह गृह में धातु की भट्टियां पिघल रही हैं या उनमें दरार आ गई है। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि पिछले एक सप्ताह से शवों को जलाने के लिए कुरुक्षेत्र...
नेशनल डेस्क: कोविड-19 महामारी के बीच शवों की संख्या बढऩे से लगातार इस्तेमाल के कारण गुजरात के सूरत में कुछ शवदाह गृह में धातु की भट्टियां पिघल रही हैं या उनमें दरार आ गई है। अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि पिछले एक सप्ताह से शवों को जलाने के लिए कुरुक्षेत्र शवदाह गृह और अश्विनी कुमार शवदाह गृह में गैस आधारित भट्टियां लगातार चालू हैं जिससे रख-रखाव के काम में दिक्कतें आ रही हैं। पिछले दो दिनों में कोविड-19 से सूरत शहर में हर दिन 18-19 लोगों की मौत हुई हैं। शवदाह गृह का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष कमलेश सेलर ने बताया, पिछले साल कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत होने के पहले कुरुक्षेत्र शवदाह गृह में हर दिन करीब 20 शवों का अंतिम संस्कार होता था। अब यह संख्या बढ़ गई है। फिलहाल रोज करीब 100 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है।
सेलर ने कहा कि शवदाह गृह में छह गैस भट्टी 24 घंटे जल रही हैं और तापमान 600 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि इस कारण से लोहे की भट्टी और चिमनी पिघलने लगी हैं और गर्मी के कारण इसमें दरार आ रही है। मशीन के इन हिस्सों को बदलना पड़ेगा। सूरत में सबसे पुराने अश्विनी कुमार शवदाह गृह में भी इसी तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं और इसके प्रबंधन ने गैस भट्टियों के रख-रखाव संबंधी मुद्दों के कारण शवों को जलाने के लिए लकड़ी की चिताओं की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है। शवदाह गृह के प्रबंधक प्रशांत कबरावाला ने कहा, हम 10 गैस भट्टियों का संचालन करते हैं। इसके अलावा तीन स्थानों पर लकडिय़ों से शवों का अंतिम संस्कार होता है।
इससे पहले हर दिन 30 शवों का दाह-संस्कार होता था। अब 90-95 शवों का दाह संस्कार हो रहा है। उन्होंने कहा कि भट्टियों के लगातार जलते रहने से उनमें कुछ की संरचना पिघल गयी। अत्यधिक तापमान के कारण कुछ पाइप और चिमनी भी टूट गयीं। कबरावाला ने कहा, हाल में चार में से दो भट्टियों में ताप रोधी ईंट लगायी गयी थी जो कि कुछ समय से बंद हैं। रख-रखाव का काम करने वाले हमारे इंजीनियर हर दिन शवदाह गृह आकर दिक्कतें दूर करते हैं। उन्होंने कहा कि रख-रखाव से जुड़े कार्य में लगातार दिक्कतें होने के कारण दो जगह और लकडड़ियों की चिता की व्यवस्था करने का फैसला किया गया है।