कोरोना के चलते ट्रांसजेंडर समुदाय, बुजुर्गों, दिव्यांगों के लिए मुश्किल भरा रहा 2020

Edited By Anil dev,Updated: 24 Dec, 2020 05:02 PM

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यूं तो कोरोना वायरस संक्रमण की घातक वैश्विक महामारी की मार दुनिया के संभवत: हर व्यक्ति को झेलनी पड़ी है, लेकिन इस बीमारी ने मुख्य रूप से ट्रांसजेंडर समुदाय, बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों के लिए साल 2020 को अत्यंत मुश्किलों भरा बना दिया।

नेशनल डेस्क: यूं तो कोरोना वायरस संक्रमण की घातक वैश्विक महामारी की मार दुनिया के संभवत: हर व्यक्ति को झेलनी पड़ी है, लेकिन इस बीमारी ने मुख्य रूप से ट्रांसजेंडर समुदाय, बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों के लिए साल 2020 को अत्यंत मुश्किलों भरा बना दिया। मानवाधिकार समूहों के अनुसार, ट्रांसजेंडर समुदाय के करीब 4.88 लाख लोग भीख मांगकर, समारोहों में नाच-गाकर और यौन कर्मी बनकर आजीविका कमाने के लिए मजबूर हैं, लेकिन महामारी के कारण उनकी आजीविका का यह साधन भी छिन गया और वे पैसा कमाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस समुदाय के लोगों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में उनके परिवार के सदस्यों के कारण उन्हें कई बार ताने, अपशब्द सुनने पड़े और घरेलू हिंसा भी झेलनी पड़ी। 

एनजीओ सखा की सहसंस्थापक मीरा परीडा ने कहा, कोविड-19 संक्रमण ने हमें उस समय में वापस धकेल दिया है, जब हमें अपनी पहचान को स्वीकारने के लिए संघर्ष करना पड़ा था और जीवन को खतरा पैदा करने वाली चुनौतियों से स्वयं को बचाना पड़ता था। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह कोरोना वायरस के असर से निपटने के लिए नीतियां एवं रणनीतियां बनाते समय ट्रांसजेंडर समुदाय की चिंताओं पर जरूर गौर करे। मीरा ने कहा, इस समुदाय को समाज और सरकार के समर्थन और मदद की आवश्यकता अब पहले से भी अधिक है।'' वहीं, शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए भी महामारी के असर से जूझना मुश्किल भरा रहा। कोविड-19 महामारी छूने से सबसे तेजी से फैलती है, लेकिन शारीरिक रूप से अक्षम लोग, खासकर नेत्रहीन लोग अकसर छूकर ही अपनी बात समझा पाते हैं। उन्हें ई-शिक्षा के लिए उनके अनुकूल सुविधाएं नहीं होने के कारण भी संघर्ष करना पड़ा। 

इसके अलावा, खासकर वृद्धाश्रमों में रह रहे बुजुर्गों के लिए भी यह साल मुश्किल भरा रहा, क्योंकि अधिक उम्र होने के कारण संक्रमण उनके लिए बेहद जोखिम भरा है। मार्च में लॉकडाउन की घोषणा के तत्काल बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, ताकि कोविड-19 के मद्देनजर दिव्यांगजन की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। केंद्र ने अगस्त में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए राष्ट्रीय परिषद का भी गठन किया, ताकि समुदाय के सदस्यों के लिए नीतियां, कार्यक्रम, विधेयक और परियोजनाएं बनायी जा सकें । सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के लिए प्रमाणपत्र और पहचान पत्र के वास्ते ऑनलाइन आवेदन करने के लिए नवंबर में एक राष्ट्रीय पोर्टल की शुरुआत की थी। इसके बाद सितंबर में ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों के संरक्षण के लिए कानून भी लागू किया गया।

सरकार ने कोविड-19 के दौरान दिव्यांगजन की मदद के लिए डिजिटल शिविरों का आयोजन किया,ताकि लोगों को पारदर्शी तरीके से सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ दिया जा सके और उन्हें भारत सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों एवं पहलों की जानकारी दी जा सके। मंत्रालय के तहत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग ने दिव्यांगजन अधिकार कानून के तहत छोटी आर्थिक गलतियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का जून में प्रस्ताव रखा था, लेकिन विभिन्न एनजीओ ने इसका विरोध किया, जिसके बाद सरकार ने इसे आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया। सरकार ने भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम 1992 में भी संशोधन की पेशकश करते हुए कहा कि पुनर्वास और शिक्षा के क्षेत्र में हुए बदलाव के मद्देनजर ऐसा करने की जरूरत पैदा हुई है। उसने इसके लिए सुझाव मांगे हैं।
 

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