गुजरात कांग्रेस पर मंडरा रहे हैं दल बदल के बादल, पार्टी के 7 विधायकों की है भाजपा पर नजर !

Edited By Anil dev,Updated: 27 Jul, 2022 02:01 PM

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गुजरात में कांग्रेस की हालत इस कदर खराब है कि राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग के बाद पार्टी पर लगातार दलबदल के बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस के सात विधायकों द्वारा एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिए जाने के बाद उनके भाजपा...

नेशनल डेस्क: गुजरात में कांग्रेस की हालत इस कदर खराब है कि राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग के बाद पार्टी पर लगातार दलबदल के बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस के सात विधायकों द्वारा एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिए जाने के बाद उनके भाजपा में शामिल होने की संभावनाएं प्रबल बताई जा रही हैं। 

इससे पहले कांग्रेस में अहम भूमिका निभाने वाले तीन बार के विधायक अश्विन कोटवाल और पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता  29 वर्षीय हार्दिक पटेल कांग्रेस की नाव को पहले ही छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा में एक दर्जन से ज्यादा कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस हाईकमान राज्य में ध्यान नहीं  दे पा रही है इसके चलते अब चुनाव से पहले फिर से विधायकों की भाजपा में जाने के लिए एक लाइन नजर आ रही है। उधर कांग्रेस की गुजरात इकाई का दावा है उसने कि 18 जुलाई को हुए राष्ट्रपति चुनाव में कम से कम सात विधायकों द्वारा संदिग्ध क्रॉस वोटिंग की जांच शुरू कर दी है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की है। मुर्मू को गुजरात में 121 वोट मिले जबकि विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 111 है। कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक मुर्मू को मिले 10 अतिरिक्त वोटों में से एक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विधायक का, जबकि दो वोट भारतीय जनजातीय पार्टी के हो सकते हैं। इससे पता चलता है कि कांग्रेस के कम से कम सात विधायकों ने मुर्मू के पक्ष में मतदान किया। संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को गुजरात में 57 वोट मिले। कांग्रेस की गुजरात इकाई के प्रवक्ता मनीष दोशी का कहना है कि कल मतगणना के दौरान जो ब्योरा सामने आया, उससे पार्टी हैरान है।

इसके अलावा विधानसभा चुनाव से पहले एक और राजनीतिक हलचल हुई है। अल्पसंख्यकों को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है। गुजरात प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर के उस बयान पर बवाल मच गया है, जिसमें उन्होंने कहा कि देश की संपत्ति पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है। वह यहीं तक नहीं रुके उन्होंने मुसलमानों से आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन करने की मांग की और कहा कि वह पार्टी नेतृत्व से मांग करेंगे कि मुसलमानों के लिए भी घोषणा पत्र अलग से बनाया जाए। इसके बाद विश्व हिन्दू परिषद ने उनके बयान पर विरोध-प्रदर्शन किया। कांग्रेस दफ्तर के बाहर हज हाउस का पोस्टर लगा दिया गया। इतना ही नहीं बाहर दीवार पर कालिख पोत दी गई। जिसके बाद विवाद बढ़ गया। इधर मामला बढ़ने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को काबू किया।

यही नहीं एक और मामले में प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कादिर पीरजादा के एक बयान ने उन्हें बैकफुट पर ला दिया। पीरजादा ने कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की बैठक में लेउवा पाटीदार नेता नरेश पटेल पर टिप्पणी करने के लिए पाटीदारों से माफी मांगी। पीरजादा ने बैठक में कहा था कि आप (कांग्रेस और नेता) हार्दिक पटेल और नरेश पटेल के पीछे 11 प्रतिशत वोटों के लिए दौड़ रहे हैं, आप भूल गए हैं कि अतीत में कांग्रेस अल्पसंख्यक वोटों के साथ सरकार बना रही थी, आपको सरकार बनाने की कोशिश करनी चाहिए और अल्पसंख्यकों के समर्थन से 120 सीटें जीतनी चाहिए। 

अगर आप हमें पार्टी में प्रतिनिधित्व नहीं देते हैं तो पार्टी का भविष्य क्या होगा। नाराज कांग्रेस विधायक ललित वसोया ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश ठाकोर को पत्र लिखा जिसमें कहा कि उनके बयान से पाटीदार समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची है और हम इससे नाराज हैं। इसके बाद  पीरजादा को माफी मांगने पड़ी।

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